गरीबों को राशन भी मुहैया नहीं करवा पाई राज्य सरकार - डॉ. प्रभुलाल सैनी

 


जयपुर, 02 नवम्बर (हि.स.)। भाजपा के पूर्व कृषि मंत्री और प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. प्रभुलाल सैनी ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान में कांग्रेस शासन के दौरान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ लेने के लिए गरीबों को पांच साल तक धक्के खाने पडे़ हैं। राज्य सरकार ने इन गरीबों की मजबूरी का मजाक उडाते हुई इनसे कई बार आवेदन भी लिए, लेकिन उन्हें योजना में शामिल नहीं किया गया। राज्य में सरकार की अनदेखी और अफसरशाही से हालात इतने विकट रहे कि प्रदेश में अधिकारी और कर्मचारी तो गरीबों के राशन पर हक मारते रहे, लेकिन वास्तविक जरूरतमंद व्यक्ति को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया।

दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कृषक वर्ग के साथ किए गए उपेक्षापूर्ण व्यवहार के कारण किसानों को 5 साल तक खाद बीज के लिए लंबी लाइनों में लगा रहना पड़ा है। इतना ही नहीं, किसानों को कई स्थानों पर मिलावटी खाद और बीज थमा दिए गए जिसके कारण उनकी फसलें भी तबाह हो गईं। इस सबके लिए जिम्मेदार राज्य सरकार और उनके मंत्रियों ने एक बार भी किसानों को सांत्वना देने की कोशिश नहीं की। प्रदेश में बीते एक साल में ही खाद की काला बाजारी, जमाखोरी एवं मिलावटखोरी के कुल 129 प्रकरण दर्ज किये गये है। इसमें भी किसी भी प्रकरण की अब तक जांच पूरी नहीं हो पाई है।

सैनी ने कहा कि सरकार की गरीबी बढ़ाओ नीति के चलते बजट घोषणा वर्ष 2022-23 की क्रियान्विति के क्रम में खाद्य सुरक्षा योजना में नए नाम जोड़ने के लिए मांगे गए आवेदनों में से 40 हजार 445 आवेदकों को आज भी इस योजना में शामिल होने का इंतजार है। राज्य सरकार ने ये 40 हजार 445 आवेदन बिना कोई कारण बताए निरस्त कर दिए। जबकि, इन आवेदनों में वास्तविक गरीबों की संख्या ज्यादा रही जो सरकार की ओर से मांगे गए दस्तावेज समय पर उपलब्ध नहीं करवा पाए। दूसरी तरफ सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ अपने चहेतों को जमकर बांटा हैं।

उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार राज्य में इन पांच सालों में 83 हजार 679 अपात्र अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ उठाया गया है। इनमें से 16 हजार 646 अधिकारी-कर्मचारियों से अब तक राज्य सरकार कोई वसूली नहीं कर पाई है। इतना ही नहीं, अब तक इन अधिकारियों से भी 80 फीसदी ही वसूली हो पाई है।

सैनी ने कहा कि इसके अलावा राज्य सरकार ने प्रदेश में राशन सामग्री का वितरण करने वाले राशन वितरकों के साथ भी अन्याय ही किया है। राशन वितरण को जरूरी सेवाओं में मानते हुए कोविड काल के दौरान किसी वितरक की मौत होने पर 50 लाख मुआवजे की घोषणा तो कर दी, लेकिन नाममात्र आवेदकों को ही मुआवजा दिया गया है। राज्य सरकार ने कोविड 19 से संक्रमित होने तथा इलाज के दौरान असामयिक मृत्यु के सिर्फ 46 प्रकरणों में ही राशन डीलरों के आश्रितों को सहायता दी है तथा 43 प्रकरण अब भी लंबित चल रहे हैं।

सैनी ने कहा कि सरकार के लचर रवैये के कारण राज्य के किसान मिलावटियों के हाथों ठगे जा रहे हैं। इसके अलावा पूरे पांच सालों तक केन्द्र सरकार ने राजस्थान में मांग से अधिक यूरिया की आपूर्ति की है, लेकिन हर बार राज्य सरकार ने खाद की कमी के लिए केन्द्र को ही जिम्मेदार ठहराया है। बीते पांच सालों में एक बार भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या उनके मंत्री किसानों के हित में नहीं बोले। गत वर्ष नवम्बर 2022 से मार्च 2023 तक स्वीकृत मांग 10.00 लाख मिट्रिक टन यूरिया के विरूद्ध 13.17 लाख मीट्रिक टन आपूर्ति की गई है। इस प्रकार रबी 2022-23 में कुल 14.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया के विरूद्ध 16.06 लाख मिट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति करवाई गई है। इसके बाद भी राज्य सरकार हमेशा यूरिया की कमी का राग ही अलापती रही है।

डॉ. प्रभुलाल सैनी ने कहा कि इसके अलावा राज्य सरकार की ओर मिलावटी यूरिया पर रोक नहीं लगाए जाने से खुले बाजार में ही मिलावटी यूरिया बिकता रहा। वर्ष 2022-23 में उर्वरक निरीक्षकों ने एकत्र किए नमूनों की जांच की जिसमें 354 नमूने अमानक पाए गए थे। राज्य की कांग्रेस सरकार ने जिस प्रकार किसान कर्ज माफी के नाम पर किसानों के साथ धोखा किया था उसी प्रकार किसानों के साथ फसल बीमा और यूरिया वितरण में भी धोखा किया गया है। प्रदेश में हर वर्ष किसानों को इस सरकार ने कभी यूरिया तो कभी बीज के लिए लंबी लाइनों में खड़ा कर दिया। इसका खमियाजा कांग्रेस सरकार को चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप