आरजीएचएस भुगतान में देरी से निजी अस्पतालों व फार्मेसियों में रोष, सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप

 


आरजीएचएस भुगतान में देरी से निजी अस्पतालों व फार्मेसियों में रोष, सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप

अजमेर, 22 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) के अंतर्गत निजी अस्पतालों एवं फार्मेसियों के छह महीने से अधिक समय से बकाया भुगतान अटके होने के कारण प्रदेशभर में निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में गहरा रोष व्याप्त है। प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी अजमेर ने राज्य सरकार पर भुगतान को लेकर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए योजना के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े किए हैं।

प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी अजमेर के सचिव डॉ दिलीप मित्तल ने बताया कि आरजीएचएस के तहत निजी अस्पतालों व फार्मेसियों का भुगतान समय पर नहीं होने से अस्पताल संचालन प्रभावित हो रहा है। कर्मचारियों के वेतन, दवाओं की खरीद, मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति और रोजमर्रा के खर्चों में भारी कठिनाइयां उत्पन्न हो गई हैं।

उल्लेखनीय है कि अगस्त-सितम्बर माह में बकाया भुगतान को लेकर प्रदेशभर के निजी अस्पतालों ने आरजीएचएस के अंतर्गत उपचार सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी थीं, जिसके बाद चिकित्सकों के आंदोलन और सरकार के साथ चली वार्ता के बाद गतिरोध समाप्त हुआ था। उस दौरान राज्य सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि आरजीएचएस के सभी लंबित क्लेम का भुगतान अधिकतम 45 दिनों के भीतर नियमित रूप से किया जाएगा। इसी भरोसे पर निजी अस्पतालों व फार्मेसियों ने पुनः योजना के अंतर्गत सेवाएं शुरू की थीं।

हालांकि, एसोसिएशन का आरोप है कि सरकार ने समझौते के अनुरूप भुगतान नहीं किया। सरकारी व विभागीय सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने अब तक जून माह तक के क्लेम का ही भुगतान किया है। जबकि इसके बाद के छह महीनों का करोड़ों रुपया भुगतान अभी भी लंबित है।

भुगतान में लगातार हो रही देरी के चलते कई निजी अस्पतालों और फार्मेसियों में योजना के अंतर्गत सेवाओं का रुझान कम हो गया है। कुछ संस्थानों ने कर्मचारियों व पेंशनरों को उपचार देने से भी अप्रत्यक्ष रूप से हाथ खींचना शुरू कर दिया है।

एसोसिएशन ने आशंका जताई कि एक ओर सरकार मॉ योजना के विस्तार और देशभर में उपचार की सुविधाओं के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य के भीतर ही आरजीएचएस योजना को सुचारू रूप से नहीं चल रही है। इससे हजारों सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स भ्रम की स्थिति में हैं।

निजी अस्पताल संचालकों का कहना है कि यदि शीघ्र ही बकाया भुगतान की स्पष्ट समय-सीमा तय कर उसे लागू नहीं किया गया, तो आरजीएचएस के अंतर्गत सेवाएं जारी रखना कठिन हो जाएगा, जिसकी सीधी मार राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों की स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / संतोष