राज विस चुनाव: भरतपुर में वसुंधरा-सचिन का असर, भाजपा- कांग्रेस सात में से तय कर पाईं तीन-तीन सीटों पर ही नाम

 


भरतपुर, 28 अक्टूबर (हि.स.)। प्रदेश में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है लेकिन भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही दल जिले की सातों विधानसभा सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशियों के पूरे नाम फाइनल नहीं कर पाए हैं। माना जा रहा है कि उत्तरप्रदेश का निकटवर्ती के साथ ही सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रभाव क्षेत्र वाला जिला होने के कारण टिकटों का बंटवारा आसानी से नहीं हो पा रहा है। जिले में सात विधानसभा सीटें हैं। इनमें से भाजपा ने अभी तक तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। वहीं कांग्रेस का आंकड़ा भी अभी तक तीन उम्मीदवारों तक ही सिमटा हुआ है।

सातों सीटों का विश्लेषण :

भरतपुर विधानसभा : इस सीट पर कांग्रेस के गठबंधन वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकदल से डा. सुभाष गर्ग वर्तमान विधायक हैं जो एक बार फिर से रालोद के सहारे ही 2023 का चुनाव जीतने की जुगत लगा रहे हैं। उनके प्रभाव के चलते ही कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे गिरीश चौधरी कांग्रेस छोड़ बसपा में शामिल होकर डा. गर्ग को चुनौती दे रहे हैं। जातिगत गणित के हिसाब से गिरीश चौधरी को जाट होने का लाभ मिलने की संभावना है क्योंकि भरतपुर सीट पर करीब 50 हजार जाट मतदाता हैं। साथ ही बसपा का वोट बैंक भी उन्हें मिलेगा जिसका नुकसान डा. गर्ग को हो सकता है क्योंकि 2018 के चुनाव में जाटों व एससी समुदाय ने डा. गर्ग को समर्थन दिया था। इधर, भाजपा का प्रत्याशी भी तय नहीं हो सका है। अभी तक भरतपुर सीट से टिकट मांग रहे भजनलाल शर्मा को भाजपा ने जयपुर की सांगानेर सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। ऐसे में पार्टी के पुराने नेता गिरधारी तिवारी जो दो बार निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं तथा पूर्व विधायक विजय बंसल भाजपा से टिकट के प्रमुख दावेदारों में से एक हैं। लेकिन विजय बंसल पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप है तथा वे वसुंधरा राजे खेमे के माने जाते हैं। ऐसे में उनकी टिकिट की दावेदारी कमजोर हो रही है। दो दिन पूर्व उनकी भरतपुर में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी मुलाकात हुई थी। राजे उन्हें चुनाव की तैयारी के लिए तो इशारा कर गई मगर टिकट को लेकर कोई दावा नहीं किया। इधर, युवा व्यवयायी यश अग्रवाल भी भाजपा का टिकट मांग रहे हैं। अंदरखाने जानकारी यह भी मिली है कि भाजपा कांग्रेस की तर्ज पर इस सीट को गठबंधन में दे सकती है।

डीग-कुम्हेर विधानसभा : यहां से कांग्रेस और भाजपा का सीधा आमने-सामने का मुकाबला है। कांग्रेस ने विधायक विश्वेंद्र सिंह और भाजपा ने डा. शैलेश सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। डीग नया जिला बनने के बाद इसका सीधा लाभ विश्वेंद्र सिंह को मिल सकता है। साथ ही वे पूर्व राजपरिवार के मुखिया भी हैं। वर्तमान विधायक होने के चलते उनकी क्षेत्र में राजनीतिक पकड़ भी अच्छी है। वहीं भाजपा के प्रत्याशी डा. शैलेष सिंह भाजपा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। साथ ही इनके वसुंधरा समर्थक पिता डॉ. दिगम्बर सिंह इस सीट से विधायक और प्रदेश में मंत्री भी रह चुके हैं।

कामां विधानसभा : यह जिले की हॉट सीट में भी शामिल है। यहां से वर्तमान में प्रदेश में शिक्षा राज्य मंत्री जाहिदा खान विधायक हैं। मगर उन्हें एक बार फिर से प्रत्याशी बनाने को लेकर काफी विरोध हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने अभी तक उनका नाम प्रत्याशी के तौर पर फाइनल नहीं किया है। वहीं भाजपा ने भी अभी तक इस सीट से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। हिंदू-मुस्लिम आबादी में बटी इस सीट पर प्रत्याशियों और हार-जीत का फैसला भी वोटों के धार्मिक ध्रुवीकरण से ही तय होता आया है। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के पुत्र जगत सिंह का नाम इस सीट से दावेदारों में सामने आया है और उनका नाम नदबई विधानसभा की सीट पर भी चर्चा में है।

नगर विधानसभा : इस सीट का समीकरण भी हिंदू-मुस्लिम वोटों के आधार पर माना जाता है। यहां से वर्तमान में वाजिब अली कांग्रेस के विधायक हैं। उनके मुकाबले भाजपा ने जवाहर सिंह बेढ़म को मैदान में उतारा है जबकि यहां की कद्दावर भाजपा नेता अनीता सिंह का टिकट भाजपा ने काट दिया है।

नदबई विधानसभा : इस सीट से वर्तमान विधायक और देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष जाेगेंद्र सिंह अवाना कांग्रेस के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। कांग्रेस की टिकट से इनका नाम लगभग फाइनल है केवल लिस्ट जारी होना शेष है। विधायक जोगेंद्र सिंह अवाना ने गत विधानसभा चुनाव बसपा से लड़ा था और जीतकर उन्होंने अपना समर्थन कांग्रेस को दिया। वहीं भाजपा से पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा और जगत सिंह के साथ-साथ पूर्व राजपरिवार के सदस्यों का नाम भी चर्चा में है।

वैर विधानसभा : डीग-कुम्हेर विधानसभा की तरह ही इस सीट पर भी सीधा मुकाबला रहेगा। इस सीट पर कांग्रेस ने एक बार फिर वर्तमान विधायक और मंत्री भजनलाल जाटव पर दांव खेला है। वहीं भाजपा ने पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली को मैदान में उतारा है। हालांकि पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली के सामने भजनलाल जाटव का चुनाव निकालना इस बार मुश्किल बताया जा रहा है।

बयाना विधानसभा : यह एससी की आरक्षित सीट है। इस सीट से अमरसिंह जाटव वर्तमान विधायक हैं। पूर्व चुनावों में कांग्रेस से टिकट दिलाने में सचिन पायलट की अहम भूमिका रही थी। वे उनके खेमे के माने जाते हैं। सरकार के खिलाफ सचिन पायलट ने विद्रोह किया था तब ये उन्हीं के साथ रहे थे। इस बार भी उनका टिकट सचिन के समर्थन पर ही टिका हुआ है। हालांकि यहां से अभी तक दोनों ही दलों ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। ऐसे में यहां के मतदाताओं के बीच पशोपेश की स्थिति बनी हुई है कि कांग्रेस अपने पुराने प्रत्याशी पर ही दांव खेलेगी या फिर कोई नया चेहरा मैदान में उतारेगी। उधर, पूर्व विधायक बच्चू सिंह बंशीवाल भाजपा से अपनी दावेदारी जता रहे हैं। यही कारण है कि शायद भाजपा कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित करने की बाट जोह रही है जिससे उसके सामने भाजपा अपना दमदार उम्मीदवार मैदान में उतार सके।

हिन्दुस्थान समाचार/अनुराधा/संदीप