पाकिस्तान में रह गया था नैतल रानी का पीहर अब सियाणा में बनेगा भव्य तीर्थस्थल
बीकानेर, 26 फ़रवरी (हि.स.)। लोकदेवता बाबा रामदेव के भक्तों के लिए एक शुभ समाचार आया है। बीकानेर में नैतल रानी का मायका यानि लोकदेवता बाबा रामदेव का ससुराल तीर्थस्थल का निर्माण होने जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय द्वारिका रणुजा संगम संस्थान के संस्थापक प्रकाश सुखलेचा ने बताया कि बीकानेर से लगभग 55 किमी दूर सियाणा भैरव मंदिर के समीप नैतल रानी का पीहर यानि लोकदेवता बाबा रामदेव का ससुराल तीर्थस्थल बनने जा रहा है। मंदिर में नैतल रानी संग बाबा रामदेव जुगल मूर्ति स्थापित होगी। क्षेत्र के ही समाजसेवी गुलाबसिंह सिवाना ने दो बीघा जमीन मंदिर निर्माण के लिए दी है। सुखलेचा ने बताया कि अमरकोट महाराजा दलपत सिंह सोढा पुत्री नैतल जिनका पीहर पाकिस्तान में रह गया है। लगभग उसी तर्ज पर सियाणा में मंदिर बनाया जाएगा। खास बात यह है कि पीहर के इतिहास जैसे बाबा रामदेव से प्रथम मिलन, नैतलरानी की चंवरी सहित अनेक दृश्यों को मूर्तियों व चित्रकारी के माध्यम से भी दर्शाया जाएगा। तीर्थस्थली को भव्य बनाने व श्रद्धालुओं के लिए भोजनशाला, धर्मशाला की सुविधाओं के साथ घुड़ सवारी व ऊंट सवारी भी आकर्षण का केन्द्र रहेंगे। इस तीर्थस्थली का लगभग एक माह के भीतर भूमि पूजन कर निर्माण प्रारंभ कर दिया जाएगा। लगभग 6-7 करोड़ की लागत से बनने वाले इस मंदिर निर्माण में संस्था के सदस्यों के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से बाबा के भक्तों द्वारा सहयोग किया जा रहा है। फिलहाल केवल नींव का दान लिया जा रहा है।
संस्थान अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष- योगेश रावत, अंतरराष्ट्रीय महामंत्री राजेश चूरा, अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री मोहनभाई मणिभाई परमार वडोदरा गुजरात, अंतरराष्ट्रीय संगठन मंत्री शंकर सिंह ठाकुर कानवन धार बदनावर मध्यप्रदेश, विजय कोठारी हिंगनघाट महाराष्ट्र, गोविन्द कुमावत, राजेश, धर्मीचंद कुमावत चेन्नई की अगवानी में निर्माण कार्य सम्पन्न होगा।
34 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय द्वारिका रणुजा संगम संस्थान ने 43 हजार मूर्तियां की स्थापित
अंतरराष्ट्रीय द्वारिका रणुजा संगम संस्थान की स्थापना 1990 में हुई थी। वर्तमान में लगभग ढाई लाख से अधिक सदस्य हैं। संस्थान द्वारा बाबा रामदेव की पूरे देश में अब तक 43 हजार मूर्तियां आधी कीमत अथवा कहीं-कहीं नि:शुल्क भी स्थापित करवाई जा चुकी है। संस्थापक सुप्रीमो प्रकाश सुखलेचा ने बताया कि संस्था का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक धर्म का प्रचार करना, आस्था के प्रतीक लोकदेवता बाबा रामदेव की महिमा का बखान करना व जीव दया के सेवा कार्य करना है। संस्थान द्वारा रूणीचा निज मंदिर में डाली बाई समाधि स्थल पूरा तैयार कर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई थी। डाली बाई जाल मंदिर और बाबा रामदेव घुड़साल में सम्पूर्ण मूर्तियां लगवाई गई। तीर्थ श्री वीरमदेवरा में सम्पूर्ण मूर्तियां लगवाई और लाल पत्थर के पिलर व छतरिया बनवाई गई थी। डाली बाई कोटड़ी जाल मंदिर पर अंडरग्राउंड पानी का टैंक बनाना, बहुमंजिला पक्षी गृह व चुग्गा घर बनाने जैसे सेवा कार्य भी किए गए। तीर्थ श्री पांच पिपली जहां बाबा ने पांच पीरों को पर्चा दिया गांव में तीन वर्षों तक मंदिर का जीर्णोद्धार नवीनीकरण चलता रहा। संस्थान द्वारा रोजाना पशु-पक्षी सेवा कार्यों के लिए हरी सब्जियां व चुग्गा डलवाने के साथ ही पक्षियों के लिए बहुमंजिला पक्षी गृह व चुग्गा घर बनवाने का कार्य करती है। संस्था द्वारा विभिन्न स्थानों पर पशुओं के लिए शेड और चारा खाने व पानी पीने की खेळी भी बनाई जाती है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर