बारिश के कारण ना हो जाए मच्छरों की बढ़वार, एंटी लारवा गतिविधियों पर जोर : हर घर में जरूरी एंटी लार्वल एक्टिविटी
बीकानेर, 11 मई (हि.स.)। बारिश से जिले वासियों को लू से क्षणिक राहत अवश्य मिली है परंतु बारिश से मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण न बन जाए, इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग एंटी लार्वा गतिविधियों पर जोर दे रहा है।
डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ लोकेश गुप्ता द्वारा नर्सिंग अधिकारियों व विद्यार्थियों के विभिन्न दलों के साथ बीकानेर शहरी क्षेत्र में घर-घर जाकर एंटी लारवा गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया। स्वास्थ्य दल द्वारा धोबी तलाई क्षेत्र में बड़ी तादाद में पनप रहे मच्छरों के लार्वा नष्ट कर जन जागरण किया गया। मौके पर उपस्थित आम जन से अपने घर व आस-पास मच्छरों की रोकथाम की अपील की। पशुओं की पानी की कुण्डियों में खाद्य तेल डाला गया और हर सप्ताह इसे दोहराने का संकल्प दिलाया गया। उन्होंने आम जन को हिदायत दी है कि वे किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा मच्छर मारने का इंतजार करने की बजाय इस आसान से कार्य को नियमित रूप से स्वयं करें। इस अवसर पर नर्सिंग अधिकारी अजय भाटी, विजय सांखला और नरेश कुमार मौजूद रहे।
जिले भर में आशा व एएनएम द्वारा घर-घर सर्वे कर मच्छरों की रोकथाम के लिए आमजन को प्रेरित किया जा रहा है। डॉ गुप्ता ने बताया कि तेज गर्मी में मच्छरों का प्रजनन कम हो जाता है लेकिन अचानक हुई बारिश से उनके लिए जगह-जगह जल भराव द्वारा प्रजनन के मौके भी निर्मित हुए हैं। ऐसे में जरूरी है कि आमजन भी ध्यान रखें की कहीं खुला और रुका हुआ पानी न रह जाए क्योंकि मच्छर ऐसे रुके हुए पानी में ही अंडे देते हैं। अच्छा हो ऐसे पानी को सुखा दिया जाए। उन्होंने बताया कि जिलेभर में मलेरिया क्रश कार्यक्रम संचालित है जिसमें विशेष रूप से एंटी लार्वा गतिविधियां करवाई जा रही है।
डॉ लोकेश गुप्ता ने आमजन को बताया कि मच्छरों की रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका होता है एंटीलार्वल एक्टिीविटी, जिसके तहत् मच्छरों को पनपने से ही रोक दिया जाता है। इस क्रम में गंदे पानी के इकट्ठा होने पर एमएलओ/काला तेल/पाइरेथ्रम छिड़काव, साफ पानी के तालाबों पर बीटीआई, पेयजल में टेमीफोस, खाद्य तेल, घरों में पाइरेथ्रम स्प्रे तथा जल स्त्रोंतो में मच्छर का लार्वा खाने वाली गम्बूशिया मछली डलवाने का कार्य जोरों पर है। आम जन को इस मुहीम से जुड़ते हुए एंटी लार्वा गतिविधियों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। पक्षियों के लिए रखे जाने वाले परिंडों को सप्ताह में एक बार खाली कर उन्हें बर्तन साफ करने वाले झामे से रगड़ कर, साफ कर व सुखाकर मच्छर के अण्डे एवं लार्वा नष्ट कर पुनः भरा जाये। कूलर, फ्रीज के पीछे की ट्रे, गमले, फूलदान इत्यादि हेतु भी यही प्रक्रिया अपनानी जानी चाहिए। इसके साथ ही छत पर रखे टूटे-फूटे सामान, कबाड़-टायर इत्यादि को हटाकर पानी इक्कठा होने से रोका जाये। पानी की टंकी एवं अन्य बर्तनों को ढंक कर रखा जाये जिससे मच्छर उनमें प्रवेश कर प्रजनन न कर सकें।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप