साल की आखिरी अमावस्या 19 दिसम्बर को : दान-पुण्य पर रहेगा जोर

 


जयपुर, 17 दिसंबर (हि.स.)। इस वर्ष की अंतिम अमावस्या 19 दिसंबर को है। पौष अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यकारी एवं महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह दिन विशेष रूप से पितरों के तर्पण, श्राद्ध, स्नान और दान-पुण्य के लिए समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि-विधान से किए गए तर्पण से पितृ दोष समाप्त होता है तथा घर-परिवार में आने वाली बाधाएं, रोग और आर्थिक संकट दूर होते हैं।

ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार यह तिथि पूर्णत: पितरों को समर्पित होती है। इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और वे संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। पौष मास के स्वामी सूर्य देव हैं, इसलिए अमावस्या के दिन सूर्य भगवान को अर्घ्य देने और उनकी पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 19 दिसंबर को सुबह 04:59 बजे होगा, जबकि इसका समापन 20 दिसंबर, शनिवार को सुबह 07:12 बजे होगा। उदय तिथि के अनुसार अमावस्या के मुख्य धार्मिक कार्य 19 दिसंबर को किए जाएंगे। इस दिन गायों को हरा चारा, गुड़, रोटी खिलाना, पक्षियों को दाना डालना और छत पर पानी रखना विशेष फलदायी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार पीपल वृक्ष में सभी देवी-देवताओं एवं पितरों का वास माना गया है। अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ों में जल अर्पित करें और संध्या के समय सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक जलाकर पीपल वृक्ष की 5, 7 या 11 परिक्रमा करने से पितृ दोष शांत होता है। जातक अपनी क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र, कंबल या काले तिल का दान करें। गरीबों, ब्राह्मणों एवं जरूरतमंदों को भोजन कराना पुण्यकारी माना गया है। पौष मास में गर्म कपड़ों का दान करने से सूर्य एवं शनि देव दोनों प्रसन्न होते हैं। साथ ही घर के शांत स्थान पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितृस्तोत्र या पितृ चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी बताया गया है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश