लोक से समृद्ध होती है भाषा : वरिष्ठ साहित्यकार श्याम जांगिड़
जयपुर, 23 दिसंबर (हि.स.)। साहित्य सृजन के अंतर्गत कहानी और उपन्यासों के पात्रों के लिए अलग से सोचना नहीं पड़ता है। समाज जीवन में जो हम देखते हैं उसी को लेकर मन की संवेदना से वह पात्र हमें मिल जाते हैं। हमारे आसपास की घटनाओं से ही साहित्य सृजन की प्रेरणा मिलती है। और लोक, भाषा को समृद्ध करता है। यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार श्याम जांगिड ने आखर कार्यक्रम में जगदीश गिरी से बातचीत में कहे।
लेखक श्याम जांगिड़ ने कहा कि, कक्षा 9 में पढ़ते समय लेखन में रुचि जागी तो शुरुआत हिंदी में लेखन से की। आगे चलकर व्यंग्य या आलोचना लिखना चुना और कई वर्षों तक इसी विधा में लिखना जारी रखा। इस दौरान कई पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त किये।
राजस्थानी और हिंदी में लेखन की संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि हिंदी में लेखक के रूप में स्थापित होने के बाद पिलानी के नागराज शर्मा ने राजस्थानी में लेखन के लिए प्रेरित किया। राजस्थानी में भी लेखन और सम्पादन का कार्य भी किया और यह अभी भी जारी है। वरिष्ठ लेखक श्याम ने राजस्थानी की आधुनिक कहानियों का भी सम्पादन किया है और राजस्थानी में भी लेखन के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किये। यह जरूर है कि राजस्थानी में अभी पत्र पत्रिकाएं कम है फिर भी लेखन काफी बढ़ा है। युवा साहित्यकारों के लिए लेखक जांगिड़ ने कहा कि युवाओं को अधिक से अधिक से पढ़ना चाहिए और लगातार लेखन करते रहना चाहिए। इसके साथ ही हमारी राजस्थानी में महिला लेखिकाएं भी आगे आ रही है और महिला लेखन भी समृद्ध हो रहा है।
कार्यक्रम के दौरान ही उन्होंने स्त्री विमर्श पर लिखा अपना व्यंग्य भी सुनाकर श्रोताओं को आनंदित किया। स्त्री की पीड़ा पर अनेक कहानियां लिखने को लेकर उन्होंने कहा कि हमारे समाज में स्त्री संघर्ष, सहनशक्ति, संवेदना और प्रेम की प्रतिमूर्ति है और इसलिए जब भी भाव पूर्ण लेखन की बात आती है स्त्री पर लिखना अति आवश्यक है। अपनी एक कहानी को सुनाते हुए लेखक श्याम भावुक हो गए और लेखन में शब्दों के अत्यंत भावुक वर्णन को सुनकर श्रोता भी भावुक हुए बिना नहीं रह सके।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप