भाई की हार के बाद छलका किरोड़ी लाल का दर्द, लिखा-‘गैरों में कहां दम था, मुझे तो अपनों ने मारा’

 


जयपुर, 23 नवंबर (हि.स.)। राजस्थान में उपचुनाव की दाैसा सीट पर भाई की हार के बाद किरोड़ी लाल मीणा का दर्द छलक उठा है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि गैरों में कहां दम था, मुझे तो सदा ही अपनों ने ही मारा है। किरोड़ी लाल ने दौसा चुनाव में भीतरघात करने वाले नेताओं को मेघनाथ भी बताया। लिखा कि उन्होंने मेघनाथ बनकर मेरे लक्ष्मण जैसे भाई पर शक्ति का बाण चला डाला। दौसा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस के डीसी बैरवा ने 2300 वोटों से जीत हासिल की है। उन्होंने मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को हराया है। इस उपचुनाव में कांग्रेस के डीसी बैरवा को 75536 और बीजेपी के जगमोहन मीणा को 73236 वोट मिले हैं।

मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने अपने भाई जगमोहन मीणा की हार के बाद अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि मुझे 45 साल हो गए। राजनीति के सफर के दौरान सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया। जनहित में सैंकड़ों आंदोलन किए। साहस से लड़ा। बदले में पुलिस के हाथों अनगिनत चोटें खाईं। आज भी बदरा घिरते हैं तो समूचा बदन कराह उठता है। मीसा से लेकर जनता की खातिर दर्जनों बार जेल की सलाखों के पीछे रहा। इसी मजबूत नींव और सशक्त धरातल के बूते दौसा का उपचुनाव लड़ा। जनता के आगे संघर्ष की दास्तां रखी। घर घर जाकर वोटों की भीख भी मांगी। फिर भी कुछ लोगों का दिल नहीं पसीजा। भितरघाती मेरे सीने में वाणों की वर्षा कर देते तो मैं दर्द को सीने में दबा सारी बातों को दफन कर देता लेकिन उन्होंने मेघनाथ बनकर मेरे लक्ष्मण जैसे भाई पर शक्ति का बाण चला डाला।

किरोड़ीलाल ने लिखा कि साढ़े चार दशक के संघर्ष से न तो हताश हूं और न ही निराश। पराजय ने मुझे सबक अवश्य सिखाया है लेकिन विचलित नहीं हूं। आगे भी संघर्ष के इसी पथ पर बढते रहने के लिए कृतसंकल्प हूं। गरीब, मजदूर, किसान और हरेक दुखिया की सेवा के व्रत को कभी नहीं छोड सकता परन्तु ह्रदय में एक पीड़ा अवश्य है। यह बहुत गहरी भी है और पल-प्रति-पल सताने वाली भी। जिस भाई ने परछाईं बनकर जीवन भर मेरा साथ दिया, मेरी हर पीड़ा का शमन किया, उऋण होने का मौका आया तो कुछ जयचंदों के कारण मैं उसके ऋण को चुका नहीं पाया। मुझमें बस एक ही कमी है कि मैं चाटुकारिता नहीं करता और इसी प्रवृत्ति के चलते मैंने राजनीतिक जीवन में बहुत नुकसान उठाया है। स्वाभिमानी हूं। जनता की खातिर जान की बाजी लगा सकता हूं। गैरों में कहां दम था, मुझे तो सदा ही अपनों ने ही मारा है।

गौरतलब है कि राजस्थान उपचुनाव की सभी सातों सीटों का परिणाम आ गया है, इनमें बीजेपी ने पांच सीटों (झुंझुनूं, खींवसर, देवली-उनियारा, सलूंबर, रामगढ़) पर जीत का परचम लहराया है। वहीं, कांग्रेस को दौसा और बाप को चौरासी में जीत से संतोष करना पड़ा है। इन उपचुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है, क्योंकि 2023 के विधानसभा चुनावों के समय इन सात सीटों में से कांग्रेस के पास चार, एक बीजेपी, एक बाप और एक आरएलपी के पास थी। अब परिणाम के बाद कांग्रेस केवल अपनी दौसा सीट बचा पाई है। कांग्रेस को रामगढ़, देवली-उनियारा और झुंझुनूं में हार का सामना करना पड़ा है। हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को भी अपनी एक सीट गंवानी पड़ी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित