पूर्व राज्यपाल कमला पंचतत्व में विलीन
जयपुर, 16 मई (हि.स.)। पूर्व राज्यपाल और राजस्थान की पूर्व उप मुख्यमंत्री रहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. कमला बेनीवाल गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। गुरुवार को लालकोठी स्थित श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। बेटे आलोक बेनीवाल ने चिता को मुखाग्नि दी।
अंतिम संस्कार से पहले उनके आवास पर पार्थिव देह को अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था, जहां मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा सहित बड़े नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता लालचंद कटारिया, आमेर विधायक प्रशांत शर्मा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष आर. आर. तिवाड़ी, इंद्रराज गुर्जर और पूर्व विधायक महादेव खंडेला सहित कई जनप्रतिनिधि अंतिम संस्कार में शामिल हुए। कमला बेनीवाल के बेटे आलोक बेनीवाल लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे, लेकिन लंबे समय तक राजस्थान कांग्रेस की सियासत का बड़ा चेहरा रहीं कमला बेनीवाल को कांग्रेस के झंडे में लपेटकर अंतिम विदाई दी गई।
पूर्व राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल (97) का बुधवार को निधन हो गया था। बुधवार दोपहर बाद उन्होंने जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। जवाहर सर्किल के पास आवास पर बुधवार को खाना खाने के दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने पर परिजन उन्हें फोर्टिस अस्पताल लेकर गए, जहां इलाज के दौरान उनका देहांत हो गया। कमला बेनीवाल के एक बेटा, चार बेटियां, एक पौत्री व एक पौत्र हैं। उनके बेटे आलोक बेनीवाल शाहपुरा से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं।
बेनीवाल का जन्म 12 जनवरी 1927 को झुंझुनूं जिले के गोरिर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। 11 साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था। पढ़ाई लिखाई में रुचि थी, उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से इतिहास में एमए तक की शिक्षा ली। वे स्टूडेंट जीवन से तैराक और घुड़सवार बन गई थीं। संस्कृत के प्रति भी उन्हें लगाव था। पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली। उस वक्त राजनीति में महिलाओं की संख्या न के बराबर हुआ करती थी। 1954 में राजस्थान की पहली महिला मंत्री बनीं। कमला बेनीवाल आजादी से लेकर 2014 तक राजनीति में सक्रिय रहीं। वे राजस्थान सरकार में मंत्री, डिप्टी सीएम और गुजरात, त्रिपुरा और मिजोरम की राज्यपाल रहीं। कांग्रेस पार्टी में कई पदों पर भी रहीं। कमला बेनीवाल को 27 नवंबर 2009 को यूपीए सरकार के समय गुजरात का राज्यपाल बनाया गया। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। कमला बेनीवाल का राज्यपाल रहते हुए तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और गुजरात सरकार से कई मुद्दों पर टकराव हुआ, उस वक्त यह विवाद राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा।
डोटासरा ने सवाल उठाए
पूर्व राज्यपाल और राजस्थान की पूर्व उप मुख्यमंत्री रहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. कमला बेनीवाल का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार नहीं करने पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सवाल उठाए हैं। डोटासरा ने ट्वीट किया कि स्वतंत्रता सेनानी और गुजरात की पूर्व राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल की अंत्येष्टि में उन्हें राजकीय सम्मान नहीं दिया गया। क्या दिल्ली के 'इशारे' पर दिवंगत सेनानी का अपमान किया गया? या ये मानवीय भूल हुई है? स्वतंत्रता सेनानी को आखिरी सम्मान न देना क्या उचित है? सरकार जवाब दे। इस विवाद में जयपुर कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित का कहना है कि पूर्व राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल का सामान्य प्रशासन विभाग की स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में नाम नहीं था। इस लिस्ट में जिन स्वतंत्रता सेनानियों का नाम होता है उन्हीं की राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि करने का प्रावधान है।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप