भंवर म्हाने पूजन द् यो गणगौर..

 


जोधपुर, 11 अप्रैल (हि.स.)। प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी मानी जाने वाली वाली सूर्यनगरी में गुरुवार को गणगौर का त्योहार उत्साह, परंपरा और खुशी के साथ मनाया गया। यहां सुहागिन महिलाओं ने गणगौर तीज का व्रत रखा और सुहाग की लम्बी उम्र की कामना के लिए पूजा अर्चना की। गीतों के साथ हाथों पर मेहंदी सजाई। इस दौरान शहर में शाम को सोलह श्रृंगार के साथ गवर माता की सवारी व शोभायात्रा निकाली गई। इससे पहले भीतरी शहर में तीजणियों की टोली गाजे बाजे के साथ जलाशयों पर जल भर कर पूजा स्थल पर लाई और गवर ईसर को अर्पित किया। इस दौरान तीजणियों ने सज धज कर सोलह श्रृंगार किए और साफा भी बांधा। गुलाब सागर, राणीसर पदमसर आदि जलाशय पर तीजणियों की टोली की रेलमपेल नजर आई।

अपने सुहाग की रक्षा की कामना के लिए हर साल मनाया जाने वाला गणगौर का त्योहार इस बार भी मारवाड़ में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सुहागिन महिलाओं ने अपने सुहाग की रक्षा के लिए पूजा-अर्चना की। सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार में वैभव की कामना को लेकर गणगौरी तीज पर शंकर-पार्वती के प्रतीक ईसर-गवर का विशेष पूजन किया गया। गवर पूजन स्थलों पर तीजणियों ने गोर-गोर गोमती, ईसर पूजे पार्वती गाकर गवर ईसर का पूजन किया और पारम्परिक गीत प्रस्तुत किए। इससे पूर्व तीजणियां समूह के रूप में मंगल गीत गाते हुए गाजे-बाजों के साथ पवित्र जलाशय पहुंची। रंग-बिरंगे परिधानों में सजी-धजी तीजणियों में खासा उत्साह नजर आया। सोलह श्रृंगार के साथ गवर माता की सवारी व शोभायात्रा शाम को निकाली गई। इस अवसर पर निकाली जाने वाली शोभायात्रा के लिए पार्वती रूपी गवर माता को विशेष रूप से करीब पांच चार किलो स्वर्णाभूषणों से सजाया गया। शोभायात्रा राखी हाउस से रवाना हुई। शोभायात्रा में इस बार माताजी का श्रृंगार मोतियों से किया गया। शोभायात्रा में धार्मिक ऐतिहासिक झाकियों का समावेश रहा।

झांकियों ने मोहा मन

मेला संयोजक राजकुमार व्यास ने बताया कि शोभायात्रा में बग्गियां व ट्रैक्टरों में झाकियां शामिल हुई। पालकी संचालक अशोक भैया ने बताया कि इस बार पालकी को अलग तरह से सजाया गया। शोभायात्रा पुंगलपाड़ा, कबूतरों का चौक, जालोरी गेट, खांडा फलसा, कुम्हारियों का कुआं, सर्राफा बाजार, सिटी पुलिस, कंदोई बाजार होते हुए घंटाघर पहुंची जो विश्राम करके वापस राखी हाउस में विराजमान की गई। गवर माता भोळावणी तक राखी हाउस में धर्मप्रेमियों के लिए दर्शनार्थ विराजमान रहेगी। बता दे कि माता गणगौर की पूजा चैत्र कृष्ण प्रथम यानी धुलंडी से शुरू होकर चैत्र शुक्ल तृतीया यानी तीसरे नवरात्र को पूरी होती है। यह 16 दिन तक चलने वाली गणगौर पूजा यूं तो राजस्थान का मुख्य पर्व है, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात के कुछ इलाकों में भी यह त्योहार मनाया जाता है। गणगौर को गौरी तृतीया भी कहते हैं। अखंड सौभाग्य के लिए मनाया जाने वाला गणगौर पर्व मनाने के लिए कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं घर-घर में गणगौर यानी शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इसमें ईसर और गौर यानी शिव-पार्वती की मिट्टी की मूर्ति बनाकर सोलह शृंगार कर सजाया जाता है। यह पूजा 16 दिन तक लगातार चलती है।

हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/ईश्वर