जेएनवी विश्वविद्यालय : पेंशनर्स के प्रदर्शन में कुलगुरु के साथ धक्का-मुक्की
तबीयत बिगडऩे पर अस्पताल ले गए, पुलिस ने दो पेंशनर नेताओं को पकड़ा
जोधपुर, 23 दिसम्बर (हि.स.)। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू) में 1475 पेंशनर्स को चार महीनोंं से पेंशन नहीं मिल पाई है। कुछ दिनों पहले किए गए प्रदर्शन के बाद आज एक फिर ये पेंशनधारक आज हैड ऑफिस में अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए। पेंशनर्स ने वहां से निकल रहे कुलगुरु प्रो. पवन कुमार शर्मा को रोका ओर उनसे जल्द समाधान करने की बात की। इस बीच बातचीत में उग्रता होने से कुलगुरु के साथ धक्का-मुक्की भी हुई।
कुलगुरु ने आरोप लगाया कि उनको गर्दन पकड़ कर गिराया गया। उनके पैर में चोट आई, जिसके बाद पुलिस को बुलाया गया। एंबुलेंस से उनको अस्पताल ले जाया गया। वहीं पुलिस दो पेंशनर नेताओं को पकडक़र थाने ले गई। एसीपी छवि शर्मा ने बताया कि पेंशनर्स के प्रदर्शन के दौरान कुलगुरु की धक्का मुक्की होने से उनको चोट आई है। उनकी रिपोर्ट पर कार्रवाई की जाएगी। उपचार के लिए उनको अस्पताल भेजा गया।
घटना के बाद मौका रिपोर्ट पर जेएनवीयू पेंशनर्स सोसायटी के अध्यक्ष के अध्यक्ष रामनिवास व अशोक व्यास को भगत की कोठी थाना पुलिस अपने साथ में लेकर चली गई। दरअसल आज पेंशनर्स की बैठक थी, लेकिन वृहस्पति भवन की अनुमति नहीं मिलने पर उसके बाहर ही बैठ कर मीटिंग करने लगे। कुलगुरु प्रो. पवन कुमार शर्मा वहां से निकल रहे थे तो कुछ पेंशनर्स ने उनकी गाड़ी को सामने जाकर रोका, जिसके बाद वे नीचे उतरे थे। कुलगुरु ने बताया कि जो लोग सामने थे वे उनसे बात नहीं करना चाहते थे। बिना अनमुति व पूर्व नोटिस के वे एकत्र हुए थे। ऐसे में उन्होंने पूर्व वीसी प्रो. गंगाराम जाखड़ को इशारा कर बुलाया। इस दौरान ही दो लोगों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की और उनको गिरा दिया था।
पेंशनर्स संघ के नेता अशोक व्यास ने मारपीट के आरोपों को नकारा है। उन्होंने कहा कि चार माह से हम पेंशन के लिए संघर्षरत हैं। हमें बैठक की अनुमति नहीं दी गई, इसीलिए हम आज यहां एकत्र हुए थे। हमारे किसी व्यक्ति ने मारपीट नहीं की। हो सकता है कि वे खुद ही उलझ कर गिर गए होंंंगे। वहीं पूर्व कुलगुरु बीएस राजपुरोहित ने कहा कि विश्वविद्यालय ने टकराव की स्थिति अपनाई है। हमें डराया जा रहा है। वृहस्पति भवन में हमें बैठक करने से मना किया गया। हमारा कार्यालय बंद कर दिया गया है। चार माह से हमें पेशन नहीं मिली है। पूरे वित्तीय वर्ष में विश्वविद्यालय ने अपने संसाधन से एक माह की भी पेंशन नहीं दी है। पेंशन के लिए 50 करोड़ का जो लोन लिया गया, उससे ही पेंशन दी गई। कुलगुरु का दायित्व था कि वे खुद आकर बात करते। हमारे लोगों ने रोकने का प्रयास किया। इसके बाद वे खुद उतरे, हमारी तरफ से कोई दुव्र्यवहार नहीं किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश