125 करोड़ रुपए की लागत से करतापुरा नाले की काया बदलने की रुपरेखा तैयार
जयपुर, 4 दिसंबर (हि.स.)। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने करतारपुरा नाले की काया बदलने के लिए विस्तृत योजना तैयार कर ली है, जिस पर करीब 125 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। उच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत जेडीए ने नाले का सर्वे कराकर उसकी विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार कर ली है, जिसे आगामी सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा। इसके बाद ही नाले के भविष्य की अंतिम रूपरेखा तय हो सकेगी।
उल्लेखनीय है कि करतारपुरा नाले के कच्चे हिस्से को पक्का करने और चौड़ाई बढ़ाने के संबंध में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (सीडब्ल्यू/22508/2018, राजेंद्र प्रसाद शर्मा बनाम राजस्थान सरकार) लंबित है। इसी क्रम में जेडीए ने एमएनआईटी से नाले के बहाव से संबंधित हाईड्रोलिक डिजाइन सर्वे प्राप्त किया है। साथ ही, नाले को पक्का करने के लिए प्राक्कलन (एस्टिमेट) और ड्रोन सर्वे हेतु कंसल्टेंसी का चयन कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसे अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा।
पहले नाले की प्रस्तावित चौड़ाई 50 मीटर तय की गई थी, लेकिन इससे बड़ी संख्या में मकान प्रभावित हो रहे थे। सर्वे के बाद लोगों के कड़े विरोध और तत्कालीन सिविल लाइंस विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास द्वारा विधानसभा में मामला उठाए जाने के बाद नए सिरे से सर्वे कराया गया। इसका उद्देश्य कम से कम लोगों को प्रभावित करना था। नए सर्वे के आधार पर अब नाले की चौड़ाई 34 मीटर निर्धारित की गई है।
वर्तमान में करतारपुरा नाला प्राइवेट जमीन पर बह रहा है, जिससे इसकी चौड़ाई के निर्धारण और सीमांकन में परेशानी आ रही है। निजी खातेदार भी इसमें अड़चन पैदा कर रहे हैं। जेडीए लंबे समय से नाले की वास्तविक जमीन तलाशने में जुटा है, लेकिन 1981 की बाढ़ के दौरान नाले का रुख बदल जाने के कारण इसका पुराना रेकॉर्ड रेवेन्यू विभाग के पास भी उपलब्ध नहीं है। इसी वजह से इसे अतिक्रमण मुक्त कराने और नियमित सफाई कार्य में कठिनाई आ रही है।
जेडीए फिलहाल करतारपुरा नाले के कुल 4.8 किलोमीटर हिस्से में सफाई और डिमार्केशन का काम करवा रहा है। यह नाला जयपुर-सवाईमाधोपुर रेलवे लाइन से लेकर शिप्रापथ तक बहता है। इस दौरान करीब 5 से 6 स्थानों पर यह नाला प्राइवेट भूमि से होकर गुजर रहा है। वर्तमान में नाले की गहराई लगभग 10 से 25 फीट के बीच है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश