मोबाइल को जाम करने वाला जैमर जेल प्रशासन की लापरवाही से खुद बीमार

 


जयपुर, 23 फ़रवरी (हि.स.)। जेल प्रशासन की लापरवाही से प्रदेश में अपराध में इजाफा देखने को मिल रहा है। जेलों में मोबाइल को जाम करने के लिए सात साल पहले जैमर लगाए गए थे। समय के साथ तकनीकी में सुधार देखने को मिला, लेकिन जेल प्रशासन बढ़ती तकनीकी के बीच अपने आप को अपडेट नहीं कर पाया। करोड़ों रुपए खर्च कर जेलों में लगाए गए जैमर आज महज शो पीस बनकर रह गए है। शुरूआत में जब जैमर लगाए गए थे तब थ्री जी तकनीक इस्तेमाल की जा रही थी। कुछ दिन बाद ही 4जी तकनीकी आ गई। वर्तमान में 5जी सिम चल रही है। लेकिन जैमर टू जी और थ्री जी तकनीक के ही है।

यहीं वजह है कि जेल की सलाखों के पीछे से बदमाश मोबाइल फोन,फेसबुक चलाने के साथ वाट्सअप कॉल कर व्यापारियों सहित अन्य लोगों को धमका कर रंगदारी वसूल रहे है। यहीं नहीं जेल से ही लगातार बड़े अपराधों को अंजाम दे रहे है। जेलों के अंधर धड़ाधड़ मोबाइल फोन का इस्तेमाल हो रहा है। वर्तमान में जेलों में करीब 60 जैमर लगे हुए हैं। दरअसल सात साल पहले मोबाइल फोन को जाम करने के लिए प्रदेश की सेंट्रल जेलों में जैमर लगाए गए लगे थे लेकिन लगने के कुछ दिन बाद इन पर ग्रहण लग गया जो कि आज तक हटने के नाम नहीं ले रहा है।

बीस करोड़ रुपए की लागत से लगाए गए जैमर

मोबाइल फोन जैमर लगाने का प्लान बना साल साल 2016 में। उसके बाद साल 2017 में मोबाइल फोन जैमर लगाए गए। लेकिन कुछ दिन बाद ही बंद हो गए। प्रदेश की जयपुर, अजमेर, अजमेर हाईसिक्योरिटी, भरतपुर, बीकानेर, कोटा और उदयपुर जेल जैमर लगाए गए थे। इन जेलों में करीब 60 जैमर लगाए गए हैं, जिनमें करीब बीस करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा खर्च हुआ है।

सात साल में दो सरकार और सात डीजी बदले

सात साल में सरकार एक जैमर सही नही करा सकी। जबकि सात साल में दो सरकारें बदल गई। सात साल में सात डीजी बदल गए। साल 2017 में जिस समय जैमर लगाए गए उस समय आईपीएस सुनील कुमार मेहरोत्रा डीजी जेल रहे। उनके बाद आईपीएस डॉ. भूपेन्द्र सिंह को डीजी बनाया गया। फिर आईपीएस एनआरके रेड्डी और आईपीएस बीएल सोनी को भी जेल डीजी पद की जिम्मेदारी दी गई। इन अफसरों के बाद आईपीएस राजीव दासोत डीजी बनें। दासोत के रिटायर होने के बाद अब भूपेन्द्र दक डीजी बनाए गए हैं। जो भी कुछ ही सप्ताह में रिटायर होने वाले हैं। इतने अफसरों के आने के बाद और भाजपा, कांग्रेस और फिर भाजपा आ जाने के बाद भी जेल में जैमर नहीं बदले जा सके हैं।

कारागार जयपुर आईजी विक्रम सिंह का कहना है कि जेलों में मोबाइल को जाम करने के लिए जैमर लगे हुए है, लेकिन समय के साथ तकनीकी अपग्रेड हो गई, लेकिन जैमर को अपग्रेड नहीं किया जा सका है। इस कारण जैमर अब किसी भी काम के नहीं रह गए है। इसी वजह जेल में मोबाइल को जाम नहीं किया जा पा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश मीणा/ईश्वर