दिवेर विजय से हुआ था भारत की विजय का शुभारंभ – संघ सह सरकार्यवाह अरुण कुमार
-मेवाड़ी वीरों के शौर्य को नमन के साथ दिवेर विजय महोत्सव समारोहपूर्वक सम्पन्न
उदयपुर, 7 अक्टूबर (हि.स.)। दिवेर विजय सिर्फ मेवाड़ के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं थी, बल्कि यह भारत की विजय का शुभारंभ था। इस विजय ने भारतवर्ष में उन सभी नायकों में प्रेरणा का संचार किया जो मुगल आक्रांताओं के विरुद्ध झंडा थामे हुए थे। यही वह समय था, जब भारत ने अपना शौर्यपूर्ण स्वाभिमान पुन: स्थापित करने की शुरुआत की।
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने सोमवार को यहां प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ में एक माह से चल रहे दिवेर विजय महोत्सव के समापन पर आयोजित समारोह में कही। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप भारत के इतिहास के परिवर्तन के प्रेरक थे। वे केवल मेवाड़ के ही नायक नहीं थे, बल्कि वे भारत के इतिहास के परिवर्तन के नायक थे। महाराणा प्रताप ने संकट के समय भी अपना चरित्र नहीं बदला। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप का प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व अतुलनीय था। प्रबन्धन में महारत थी। वे बचपन से अहंकार रहित और सर्वप्रिय थे। उनमें कुशल नेतृत्व क्षमता थी। उन्होंने तत्कालीन परिस्थितियों में आमजन में उत्साह और आत्मविश्वास का संचार किया। मेवाड़ को स्वतंत्र करवाने के संकल्प पर आजीवन अडिग रहे। दिवेर विजय ने मेवाड़ में लगभग दो दशक तक लंबी शांति स्थापित करने का कार्य किया। उस दौरान महाराणा प्रताप एक कुशल प्रशासक और कला प्रेमी के रूप उभर कर आए।
अरुण कुमार ने कहा कि भारत पर विदेशियों के आक्रमण का सदियों लंबा इतिहास है। यूनानी, हूण, कुषाण आदि आक्रांताओं को हमने पराजित कर अपने अंदर समाहित कर लिया। उसके बाद लगभग एक हजार वर्ष का इतिहास ऐसे संघर्ष का रहा जिसके दौरान हम गुलामी के चिह्न मिटा नहीं पाए। दूसरों की लिखी कहानी पढ़कर हम अपने स्वाभिमान को भुला बैठे हैं। उसे अपने दृष्टिकोण से पुनः लिखते हुए गुलामी के चिह्न मिटाने होंगे। इसके लिए दिवेर विजय दिवस पर उस युग परिवर्तनकारी विजय का स्मरण करते हुए हमें संकल्पित होना होगा।
समारोह में मेवाड़ पीठाधीश्वर स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज (गोपाल आश्रम, बड़ी सादड़ी) ने कहा कि राष्ट्रधर्म सर्वोपरि होता है। अगर हम सनातन की रक्षा नहीं कर पाएंगे तो हमारा धर्म मुश्किल में पड़ जायेगा। मध्यकाल में सिर्फ दया-धर्म का ही पाठ पढ़ाया गया। केवल दया-धर्म से राष्ट्र की रक्षा नहीं होती, समय-समय पर शास्त्र के साथ शस्त्र का भी महत्व होता है। उन्होंने कहा कि संघ परिवार की वजह से राष्ट्र सुरक्षित है। उन्होंने तीर्थराज चित्तौड़ पर आधारित कविता सुनाते हुए कहा कि पूरे भारत और विदेशों में कोई भारत को जानता है तो महाराणा प्रताप की वजह से जानता है।
इससे पूर्व, अतिथियों ने दीप प्रज्वलन के साथ समारोह का आरंभ किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष प्रो. बीपी शर्मा ने कहा कि विक्रम संवत 1640 को विजय दशमी के दिन लड़ा गया दिवेर का युद्ध भारतीय इतिहास में युगान्तकारी परिवर्तन लाने वाला युद्ध है। महाराणा प्रताप के नेतृत्व में मेवाड़ सेना ने इस युद्ध में प्रथम बार अपनी रक्षात्मक युद्ध नीति में परिवर्तन कर आक्रामक नीति को अपनाया तथा ऐसा तांडव रचा कि 36 हजार बर्बर मुगल सैनिकों को बुरी तरह पराजित कर दिया। दिवेर विजय के उपरांत अगले चार-पांच दिन में ही मुगलों द्वारा स्थापित 36 महत्वपूर्ण थाने समाप्त हो गए। इसके बाद शनै:-शनैः दो-तीन वर्षों में मुगलों द्वारा स्थापित समस्त थाने समाप्त हो गए। लगभग समस्त मेवाड़, वागड़, गोड़वाड़, मेरवाड़ा से लेकर मालवा तथा गुजरात तक के कुछ हिस्सों पर महाराणा प्रताप का शासन स्थापित हुआ। अगले 20-22 वर्षों तक मेवाड़ में शांति बनी रही तथा मुगलों ने इस और आंख उठाने की हिम्मत नहीं की।
प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने कहा कि प्रताप गौरव केन्द्र वर्ष 2016 से महाराणा प्रताप के शौर्य को जन-जन तक पहुंचाने के कार्य में अनवरत लगा हुआ है। महाराणा प्रताप के गौरव को और भी आगे बढ़ाने के लिए प्रताप गौरव केन्द्र सतत लगा रहेगा। दिवेर विजय महोत्सव का प्रतिवेदन महोत्सव के संयोजक डॉ. सुभाष भार्गव ने प्रस्तुत किया। समारोह का संचालन डॉ. सरोज कुमार ने किया। अतिथियों ने चित्रकला प्रतियोगिता के कैटेलॉग का भी विमोचन किया तथा निबंध, ऑनलाइन ओपन बुक प्रश्नोत्तरी, भाषण, चित्रकला प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया। समिति के सचिव पवन शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण कुमार जैन, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य बलिराम, क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्रीवर्द्धन, प्रांत प्रचारक मुरलीधर, सह प्रांत प्रचारक धर्मेन्द्र, विभाग संघचालक हेमेन्द्र श्रीमाली, महानगर संघचालक गोविन्द अग्रवाल, नगर निगम महापौर जीएस टांक, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत आदि भी उपस्थित थे।
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पेसिफिक में व्याख्यान
-दिवेर विजय महोत्सव के तहत एक माह से चल रही व्याख्यानमाला के क्रम में सोमवार प्रात: उदयपुर की पेसिफिक यूनिवर्सिटी में व्याख्यान हुआ। यहां प्रताप गौरव केंद्र में शोध निदेशक डॉ. विवेक भटनागर ने दिवेर विजय पर प्रकाश डाला।
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राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता के परिणाम
-दिवेर विजय महोत्सव के तहत राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता का अंतिम चरण सोमवार को यहां प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ के पद्मिनी सभागार में हुआ। सुबह 11 बजे हुए इस अंतिम चरण में प्रतिभागियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतीकरण दिया। प्रतियोगिता के संयोजक बालूदान बारहठ ने बताया कि इस प्रतियोगिता में राज्य स्तर परिणाम दोपहर बाद घोषित किए गए। इसमें प्रथम : अंजलि गांचा मीरा कन्या उदयपुर, द्वितीय : कन्हैया लाल तेली, राजकीय महाविद्यालय राजसमंद, तृतीय : पीयूष द्विवेदी, राजकीय महाविद्यालय सिरोही रहे। इसी क्रम में मेघना पारीक, राजकीय महाविद्यालय चूरू, दीपिका खींची, राजकीय कन्या कॉलेज भीलवाड़ा को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किया गया।
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चित्रकला प्रतियोगिता के परिणाम
-चित्रकला प्रतियोगिता के संयोजक रामसिंह भाटी ने बताया कि यह प्रतियोगिता तीन वर्ग उच्च शिक्षा, उच्च माध्यमिक व माध्यमिक स्तर पर रखी गई। तीनों वर्गों में श्रेष्ठ तथा प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए गए। प्रतियोगिता के परिणाम इस प्रकार रहे।
उच्च शिक्षा वर्ग:- श्रेष्ठ प्रतिभागी
1.हर्षा सोनी, मीरा कन्या महाविद्यालय
2.खुशबू छींपा, दृश्य कला विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय
3.हेमन्त मेघवाल, विद्याभवन गोविन्दराम सेकसरिया शिक्षक महाविद्यालय
4.रुद्रप्रताप सिंह झाला, दृश्य कला विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय
5.अंश कुमार दाधीच, दृश्य कला विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय
प्रोत्साहन पुरस्कार:-
1.रितिका श्रीमाली, दृश्य कला विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय
2.जाह्नवी रावल, मीरा कन्या महाविद्यालय
3.झलक बंशीवाल, दृश्य कला विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय
4.भावेश सुथार, दृश्य कला विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय
उच्च माध्यमिक वर्ग: श्रेष्ठ प्रतिभागी
1.हंसिका लौहार, हैप्पी होम
2.जाह्नवी तेली, सेंट मैथ्यू
3.लुबिना राज, मेरी कॉन्वेंट
4.सुमित सुथार, ज्योति सीनियर सेक. स्कूल
5.चाहना जैन, सेंट एंथोनी
प्रोत्साहन पुरस्कार:-
1.भव्या सोनी, साल्ज़र स्कूल
2.प्रिन्स प्रजापत, गुरुनानक
3.ऋचा शर्मा, विज़न अकेडमी
4.गुंजित शर्मा, आलोक स्कूल
माध्यमिक वर्ग :- श्रेष्ठ प्रतिभागी
1.भाविका जारोली, सेन्ट एंथोनी
2.धनिष्ठा लौहार, हेरिटेज इंटरनेशनल
3.दिव्या कुंवर, पायनियर पब्लिक
4.खुशबु कुंवर, साल्ज़र स्कूल
5.सुहानी वैष्णव, राज. महिला स्कूल
प्रोत्साहन पुरस्कार:-
1.यज्ञ लोहार, महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल
2.गुंजन कुम्हार, पीपीएस
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता