केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय पाण्डुलिपि शास्त्राध्ययन राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन
जयपुर, 14 मार्च (हि.स.)। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय व्याकरण विद्याशाखा जयपुर परिसर और मुम्बादेवी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में पांच दिवसीय राष्ट्रीयलिपि मातृका संपादन अध्ययन कार्यशाला का गुरुवार को नूतन भवन स्थित संवादशाला में उद्घाटन हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रामसेवक दुबे ने कहा कि पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए उनके संपादन और लिपियों का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है। यह कार्यशाला पांडुलिपियों के ज्ञान के लिए अत्यन्त उपकारिणी होगी। कार्यशाला में सारस्वत अतिथि के रूप में शिक्षाशास्त्र विद्याशाखा के अध्यक्ष प्रोफेसर वाई.एस.रमेश ने कहा कि शास्त्र ज्ञान के लिए लिपि ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। पाण्डुलिपियां शारदा, ग्रन्थ इत्यादि लिपियों में बद्ध हैं। संपादन के लिए मातृका अध्ययन अत्यन्त आवश्यक है, अपठित और अप्रकाशित पाण्डुलिपियों को प्रकाश में लाने के लिपि ज्ञान और मातृकासम्पादन में निपुण होना आवश्यक है। कार्यशाला के माध्यम से अभ्यर्थी निश्चित ही लिपियों के बारे में जान पायेंगे।
कार्यशाला में अध्यक्ष के रूप में परिसर निदेशक प्रोफेसर सुदेश कुमार शर्मा ने कहा कि मातृका संपादन और अध्ययन कार्यशाला के माध्यम से सभी शोधकर्ता निश्चित ही लाभान्वित होंगे। कार्यक्रम अध्यक्ष ने कहा कि हम परिसर में अनेकों प्रकार के विषयों के प्रकाशन के लिए अनेक कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं जिनके माध्यम से अनेक शोधकर्ता विषयों में निपुणता प्राप्त कर रहे हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण के लिए लिपियों का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। लिपि ज्ञान के माध्यम से हम शास्त्रों में निहित ज्ञान को जान पाएंगे। कार्यशाला 18 मार्च तक चलेगी। कार्यशाला में भारत के प्रसिद्ध पाण्डुलिपिविद् अध्यापन करवायेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप