देशी गाय के गोबर से निर्मित शत-प्रतिशत शुद्ध गणेश प्रतिमाएं तैयार : घर में ही बड़े पात्र में पानी डालकर विसर्जन कर सकेंगे

 


बीकानेर, 31 अगस्त (हि.स.)। पर्यावरण शुद्ध रहे इसके लिए हर स्तर पर प्रयास होते रहते हैं। प्रदूषण रहित माहौल बनाने के लिए पर्व-उत्सवों पर विशेष काम हो सकता है। आने वाले दिनों में गणेश चतुर्थी का पर्व आ रहा है। ऐसे में घर-घर में गणेशजी विराजेंगे। फिर अंतिम दिन गणेश विसर्जन भी होगा। इस गणेश चतुर्थी अपने घर लाए गोबर से निर्मित गणेश। जो पूर्णतय शतप्रतिशत शुद्ध है। इससे वातावरण में किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता। पानी में विसर्जन करने के बाद गोबर को खाद के रूप में उपयोग भी किया जा सकता है। गौतलब है गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में हर साइज की प्रतिमाएं तैयार की जा रही है।

बीकानेर में यहां तैयार है गोबर के गणेश

बीकानेर में बेनीसर बारी के बाहर गाेधन मित्र संस्थान आमजन के लिए इस गणेश चतुर्थी को खास तौर पर देशी गाय के गोबर से निर्मित शत-प्रतिशत शुद्ध गणेश तैयार किए हैं। यहां पर अलग-अलग साइज की गणेशजी की प्रतिमाएं वाजिब दामों पर मिल रही है। इनको घर में ही बड़े पात्र में पानी डालकर विसर्जन किया जा सकता है।

सूखकर तैयार होने में लगते है दो से तीन दिन

गौधन मित्र संस्थान के महेन्द्र जोशी ने बातचीत में बताया कि पर्यावरण की शुद्धि के लिए उनके यहां पर गाय के गोबर से निर्मित आइटम बनाए जा रहे हैं। यह पूर्ण रूप से शुद्ध है, किसी तरह का केमिकल्स, आर्टीफिशियल चीज इसमें नहीं डालते। इसमें तीन से चार इंच की प्रतिमा को तैयार करने में 15-20 मिनिट लगता है, लेकिन उनको धूप में सूखाकर तैयार करने में तीन से चार दिन लग जाता है। इनमें गोबर और उसके साथ यदि कुछ औषधियां ही मिलाई जाती है। बीते दो साल से गोबर गणेश की डिमांड बढ़ रही है।

महानगरों में किए जा रहे है पसंद

गोधन मित्र के महेन्द्र जोशी ने बताया कि गोबर से तैयार गणेशजी दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, जोधपुर, जयपुर, उदयपुर सहित महानगरों में गोबर से बने गणेशजी की मांग है। उन्होंने बताया कि छोटे और बड़े सभी साइज के गणेशजी तैयार किए जा रहे है। जोशी के अनुसार संस्था गायों के गोबर से कई तरह के आइटम बना रही है। ताकि वातावरण प्रदूषित नहीं हो।

हिन्दुस्थान समाचार / राजीव