गुरु गोबिन्द सिंह जी साहस, त्याग, राष्ट्रप्रेम और आध्यात्मिक ऊंचाइयों का अनंत प्रकाश स्तंभ - प्रो आनंद भालेराव

 




अजमेर, 22 दिसम्बर(हि.स.)। सिख पंथ के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी साहस, त्याग, राष्ट्रप्रेम और आध्यात्मिक ऊंचाइयों का एक अनंत प्रकाश स्तंभ हैं। गुरु गोबिन्द सिंह जी का जीवन जितना महान हैं, उतना ही व्यापक और अनसुना भी है।

राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद भालेराव ने गुरु गोबिन्द सिंह जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में यह विचार रखे। इससे पूर्व कुलपति ने गुरु गोविन्द सिंह जी छवि चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए।

प्रो भालेराव ने कहा कि वे 14 भाषाएं जानने वाले विद्वान् थे। उन्होंने दशम ग्रन्थ, जाफ़रनामा और सैकड़ों वीर रस की रचनाएं लिखीं जो आज भी युवाओं की नसों में ऊर्जा भरती है। गुरु गोबिन्द सिंह ने राष्ट्रीय पुनर्जागरण का क्रय करते हुए कहा था कि सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, जगे धर्म हिन्दु सकल भंड भाजे। यानि खालसा मेरा रूप है और खालसा में ही मैं वास करता हूँ।

प्रो आनंद भालेराव ने इस बात को साझा किया कि गुरु गोबिन्द सिंह ने कहा था कि नेतृत्व वही करता है जो सबसे आगे चले सेवा में भी और रण में भी। यह नेतृत्व का वह आदर्श है जिसे आज प्रत्येक शिक्षक, प्रशासक और छात्र को सीखने की आवश्यकता हैं।

प्रो भालेराव ने गुरु गोबिन्द सिंह जी पर आधारित विभिन्न प्रसंगों को बताते हुए कहा कि बहुत काम लोग जानते हैं एक बार एक सूफी फ़क़ीर गुरु जी के शिविर में आया जिसे गुरु जी ने खाना खिलाया और विश्राम कराया। जब फ़क़ीर ने उनकी तलवार देखी तो उसने कहा यह तलवार खून नहीं बहाती, यह अत्याचार मिटाती है। यह भगवन की तलवार है। यह प्रसंग दर्शाता है कि गुरु गोबिन्द सिंह जी सिर्फ सिखों के गुरु नहीं थे बल्कि मानवता के भी गुरु थे।

अपने उद्बोधन का समापन कुलपति ने गुरु गोबिन्द सिंह जी की वैसाखी की अपील से की जो राष्ट्र के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देता है, वही सच्चा मानव है। उन्होंने यह आह्वान किया कि आज हमें ये संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके मार्ग पर चलकर बौद्धिक साहस, नैतिक शक्ति और राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को जीवन का आधार बनाएंगे और हम अपने अपने क्षेत्र में देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ अर्पित करेंगे।

इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी व विद्यार्थी वर्ग बड़े समूह में उपस्थित रहें। अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमरदीप शर्मा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन जनसंपर्क अधिकारी अनुराधा मित्तल ने किया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / संतोष