गौरवमयी संस्कृति और परम्पराओं से जुड़े प्रदेश हैं गुजरात और महाराष्ट्र- राज्यपाल

 


जयपुर, 1 मई (हि.स.)। राजभवन में बुधवार को गुजरात और महाराष्ट्र राज्य का स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस दौरान दोनों राज्यों के लोगों से संवाद कर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात के भाषायी आधार पर अलग राज्य बनने के बाद से ही दोनों ने राष्ट्रीय प्रगति में निरंतर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने गुजरात और महाराष्ट्र को स्वाधीनता आंदोलन की उर्वर भूमि बताते हुए सरदार पटेल, महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक आदि का भी स्मरण किया।

राज्यपाल ने कहा कि गुजरात भगवान श्री शिव का पवित्र धाम सोमनाथ है तो यही भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका भी है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास के साथ गुजरात ने देशभर में अपनी उत्सवधर्मी सांस्कृतिक, सामाजिक परम्पराओं से भी विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने महाराष्ट्र को अध्यात्म, दर्शन और संत परम्पराओं की धरती बताते हुए कहा कि संत तुकाराम, स्वामी समर्थ रामदास जी जैसे संतों की इस धरती पर ही छत्रपति शिवाजी, सावरकर, डॉ. भीमराव आम्बेडकर जैसे व्यक्तित्वो ने समाज में सकारात्मक बदलाव की पहल की।

मिश्र ने भारतीय संविधान की उद्देशिका के आरंभिक वाक्य हम भारत के लोग की चर्चा करते हुए कहा कि संविधान ने हमे अधिकार दिए हैं तो कर्तव्य भी प्रदान किए हैं। इनके संतुलन से ही जीवन के उदात मूल्यों से भारत आगे बढ़ा है। उन्होंने संविधान को पवित्र मानते हुए सबको संवैधानिक मूल्यों के लिए कार्य करने का आहवान किया।

उन्होंने संविधान की मूल प्रति पर उकेरे चित्रों की चर्चा करते हुए समरसता की भारतीय संस्कृति के लिए सबको मिलकर कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंर्तगत राज्यों के स्थापना दिवस विविधता में एकता की हमारी अनूठी संस्कृति के संवाहक है। उन्होंने अतीत की परम्पराओं को सहेजते हुए दोनों ही प्रदेशों की समृद्धि और खुशहाली की कामना की। आरंभ में उन्होंने संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया और मूल कर्तव्य पढ़कर सुनाए। इस मौके पर राज्यपाल के सचिव गौरव गोयल और प्रमुख विशेषाधिकारी गोविंदराम जायसवाल भी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/संदीप/ईश्वर