चिकित्सा संस्थानों के सघन निरीक्षण का असर:स्वास्थ्य सेवाओं की प्रदायगी में आ रहा बड़ा सुधार

 


जयपुर, 5 मार्च (हि.स.)। प्रदेशभर में चिकित्सा संस्थानों का मिशन मोड में निरीक्षण होने से आमजन को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं एवं चिकित्सा संस्थानों की स्थिति में बड़ा सुधार सामने आया है। विगत करीब पांच सप्ताह से चल रहे इन सतत निरीक्षणों से चिकित्सा संस्थानों में जांच एवं उपचार, दवाओं की उपलब्धता, साफ-सफाई, वार्ड एवं भवन की स्थिति सहित अन्य सेवाओं संबंधी मानकों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है।

उल्लेखनीय है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह के निर्देशों के बाद विभाग ने आदेश जारी कर 24 जनवरी से प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थानों का निरीक्षण किए जाने के निर्देश दिए थे। प्रदेश में 3 फरवरी, 2024 तक चिकित्सा संस्थानों के 7600 से अधिक निरीक्षण किए गए। इन निरीक्षणों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग के आधार पर तैयार रिपोर्ट के अनुसार पहले निरीक्षण से लेकर चौथे निरीक्षण तक स्वास्थ्य सेवाओं में आशानुकूल सुधार देखने को मिला है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि पहले निरीक्षण के समय चिकित्सा संस्थानों में ओपीडी एवं आईपीडी सेवाओं के प्रति संतुष्टि का स्तर 75 प्रतिशत था, जो चौथे निरीक्षण के समय बढ़कर 92 प्रतिशत हो गया है। इसी प्रकार चिकित्सा संस्थानों के भवनों की स्थिति को लेकर संतुष्टि का स्तर 61 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत, लेबर रूम की स्थिति का स्तर 47 प्रतिशत से बढ़कर 82 प्रतिशत, वार्ड में बैडशीट की स्थिति का स्तर 55 प्रतिशत से बढ़कर 78 प्रतिशत, आपातकालीन सेवाओं में संतुष्टि का स्तर 28 प्रतिशत से बढ़कर 74 प्रतिशत, संविदा कार्मिकों को मानदेय की स्थिति में सुधार 29 प्रतिशत से बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया है।

निदेशक जनस्वास्थ्य रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि निरीक्षण के बाद से चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सुधार हो रहा है। निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 95 प्रतिशत चिकित्सा संस्थानों में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना एवं 91 प्रतिशत संस्थानों में मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना का सुचारू संचालन होना पाया गया। इसी प्रकार 73 प्रतिशत संस्थानों में मानव संसाधान, 63 प्रतिशत संस्थानों में भवन की स्थिति संतोषजनक पाई गई। अधिकांश चिकित्सा संस्थानों में अब कार्मिकों की बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज की जा रही है। प्रदेश के 86 प्रतिशत संस्थानों में बाहरी साफ-सफाई नियमित हो रही है, 77 प्रतिशत संस्थानों में रैम्प बने हुए हैं। केवल 8 प्रतिशत संस्थानों में शौचालयों की साफ-सफाई तथा 4 प्रतिशत संस्थानों में वार्ड में साफ-सफाई की स्थिति असंतोषजनक पाई गई है।

उल्लेखनीय है कि राजधानी से लेकर गांव-ढाणी तक बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने एवं सुदृढ़ चिकित्सा प्रबंधन की सोच के साथ प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों का सघन निरीक्षण किया जा रहा है। संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार एवं चिकित्सा विभाग के अधिकारी नियमित रूप से चिकित्सा संस्थानों का निरीक्षण कर रहे हैं। इन निरीक्षण के आधार पर हर चिकित्सा संस्थान की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जहां भी स्वास्थ्य सेवाओं में खामियां सामने आ रही हैं, उनमें तत्काल प्रभाव से सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप