जोधपुर से जयपुर के लिए डबल रेलवे ट्रैक का काम पूरा, अब बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड

 


जोधपुर, 02 मई (हि.स.)। जोधपुर का रेलवे ट्रैक अब जयपुर तक के लिए डबलिंग हो गया है। इससे जोधपुर से जयपुर जाने वाली ट्रेनों को अब क्रॉसिंग के वक्त दूसरी ट्रेन के गुजरने का इन्तजार नहीं करना पड़ेगा। इससे ट्रेनों की स्पीड बनी रहेगी साथ ही जयपुर पहुंचने में समय भी कम लगेगा। इसी माह जयपुर से जोधपुर के बीच भी इलेक्ट्रिफिकेशन का काम भी पूरा हो जाएगा। इसके चलते वंदे भारत व वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों समेत अन्य रेलगाडिय़ों के इस रुट पर चलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

जयपुर से जोधपुर के बीच ट्रैक के डबलिंग का काम पूरा होने के बाद अब जोधपुर जयपुर से जोधपुर व जोधपुर से गुजरात होते हुए महाराष्ट्र तक डबल लाइन से जुड़ गया है। जोधपुर मंडल में अब इलेक्ट्रिफिकेशन का काम भी सिर्फ फुलेरा से मकराना के बीच ही बचा है। ऐसे में इसी माह में यह काम पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है। फुलेरा से मकराना के बीच यह काम पूरा होते ही जयपुर से मुंबई तक इलेक्ट्रिक ट्रेने चल सकेंगी। बता दें कि जयपुर से गुजरात और गुजरात से मुंबई तक पहले ही इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा हो चुका है। इसी के चलते जोधपुर से साबरमती तक पहली वंदे भारत चल रही है।

गोविंदी मारवाड से नावा सिटी तक नौ किलोमीटर के ट्रैक के (डबलिंग) दोहरीकरण का कार्य 27 अप्रैल को पूरा हो गया था और इस रूट को दोहरीकरण का सर्टिफिकेट भी जारी हो गया था। इससे फुलेरा, डेगाना होते हुए राइकाबाग तक डबलिंग का काम पूरा हो गया। इस रुट के पूरा होने पर दिल्ली से रेवाड़ी होते हुए जयपुर, फुलेरा डेगाना से राइकाबाग तक पूरा रेलवे रुट पर डबलिंग वर्क हो गया। फुलेरा से राइकाबाग तक 250 किलोमीटर का रुट का डबलिंग करने में रेलवे ने 1800 करोड़ से अधिक खर्च किया है।

डीआरएम जोधपुर पंकज कुमार सिंह ने बताया कि इस डबलिंग पुरा होना जोधपुर मंडल के लिए बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इलेक्ट्रिफिकेशन वर्क भी पूरा हो जाएगा और हमारी और से सभी तरह की ट्रेनों का संचालन हो सके ऐसी व्यवस्था पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद ट्रेनों का शेड्यूल रेल मंत्रालय निर्धारित होगा। उत्तर पश्चिमी रेलवे पीआरओ शशि किरण ने बताया कि मई तक फुलेरा से मकराना के बीच इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा होने के बाद जयपुर से जोधपुर का पूरा रूट इलेक्ट्रिक हो जाएगा। उन्होंने बताया कि दोहरीकरण का काम पूरा होने के बाद इस रुट पर अब ट्रेनों की स्पीड भी बढेगी और समय की बचत भी होगी।

क्या होता है दोहरीकरण

एकल ट्रैक को डबल ट्रैक में विस्तारित करने की प्रक्रिया को डुप्लिकेशन या दोहरीकरण कहा जाता है। रेलवे के रुट पर जब ट्रेक डबल हो जाते है तब क्रॉसिंग के समय ट्रेनें अलग अलग ट्रेक पर क्रॉस कर सकती है। इससे ट्रेन को हर क्रासिंग पर रुकना नहीं पड़ता।

हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/संदीप