ऐसे तो कैसे हरित होगा चित्तौड़, कॉलोनाइजर ने दे दी हरे पेड़ों की बली
चित्तौड़गढ़, 12 अगस्त (हि.स.)। देश में बढ़ती हुई गर्मी को देखते हुए एक तरफ केंद्र व राज्य सरकार अधिक से अधिक पौधे लगाने की अपील कर रही हैं। एक पौधा मां के नाम तो हरित राजस्थान सहित अन्य कई अभियान पौधारोपण करने के लिए चलाए हुए हैं। चित्तौड़गढ़ को भी हरा भरा बनाने के लिए करीब 11 लाख से ज्यादा पौधे लगाने का लक्ष्य जिला कलक्टर के निर्देश पर रखा है। प्रशासनिक प्रयासों के साथ ही विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से पौधे लगाए जा रहे हैं। वहीं चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर ही हरित राजस्थान अभियान को ठेंगा दिखाया जा रहा है। यहां शहर में ही मुख्य मार्ग पर लगे हरे पेड़ों को काट दिया गया। पेड़ काटने वालों में प्रशासन का किसी प्रकार का डर भी नहीं है कि अवशेष ही मौके पर पड़े हुए हैं। एक कॉलोनी को विकसित करने के लिए इन पेड़ों की बली दे दी। भीलवाड़ा मार्ग पर पद्मिनी होटल के सामने यह कॉलोनी विकसित की जा रही है। बड़ी बात यह कि काटे गए सभी पेड़ अम्बेडकर पुलिया के पास थे, जिससे कि कॉलोनी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता। केवल जमीन की वैल्यू बढ़ाने के लिए पेड़ काट दिए। मामले में चित्तौड़गढ़ तहसीलदार का कहना है कि उनसे कोई अनुमति नहीं ली गई।
जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ शहर में पद्मिनी होटल से पहले बेडच नदी पर दो पुल बने हुए हैं। इसमें अंबेडकर पुल की तरफ एक कॉलोनी विकसित की जा रही है। कॉलोनाइजर की ओर से संभवतया यहां नियमों को धत्ता बताते हुए काम किया गया। अंबेडकर पुलिया के बिल्कुल पास में ही वर्षों से कई पेड़ लगे हुए थे। इन बड़े पेड़ों को काट दिया गया। यह पेड़ काटने की कार्रवाई अवकाश की अवधि में की गई। इस तरफ किसी का ध्यान नहीं गया। बताया गया कि यहां पर करीब एक दर्जन पेड़ काटे गए हैं। यह सभी पेड़ काफी बड़े हो गए थे और हरियाली भी थी। ऐसे में बड़ा सवाल या उठ खड़ा होता है कि एक तरफ सरकार पेड़ लगाने के लिए कवायद कर रही है। केंद्र एवं राज्य सरकार अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रही है। विभिन्न समाज और संगठनों को इससे जोड़ा गया है। सरकारी तंत्र को पूरा पौधारोपण में झोंक दिया गया है। वहीं जिला मुख्यालय पर केवल एक कॉलोनी को विकसित करने के लिए इस तरह से पेड़ काटे जाना कहां तक उचित है। अगर कॉलोनाइजर पेड़ काटने की अनुमति भी मांगे लेकिन मौका देखने के बाद कोई भी अधिकारी इन पेड़ को काटने की अनुमति नहीं देता। इसका कारण है कि कॉलोनी के विकास में यह पेड़ कहीं भी बाधा देते दिखाई नहीं दे रहे थे।
कॉलोनाइजर की जमीन में भी नहीं थे पेड़
बेड़च नदी की पुलिया के यहां मौका देखने पर सामने आता है कि करीब एक दर्जन हरे पेड़ काटे गए। इसमें से ज्यादातर पेड़ तो बड़े होकर इनका तना भी विशाल हो गया था। वही यह पेड़ पुलिया के बिल्कुल नजदीक 1 से 2 फीट की दूरी में ही है। ऐसे में यह भी नहीं कहा जा सकता कि यह जमीन कॉलोनाइजर की है। संभावित पुलिया के पास की जमीन को भी कॉलोनी में शामिल करने की नीयत से इन पेड़ों को काटा गया हो।
हाइड्रो जैसे उपकरण लगा काटे गए पेड़ो की जानकारी में सामने आया कि इन पेड़ों को अवकाश के दिन शनिवार अपरान्ह से शुरू किया गया। इसके लिए हाइड्रो व जेसीबी जैसी मशीन मौके पर लाई गई थी। मार्ग पर यातायात को भी डायवर्ड किया गया। हाइड्रो से पेड़ को उठा कर रख तथा नीचे किसी उपकरण से यह पेड़ काटे गए हैं। पेड़ काटने के बाद तने और उसकी टहनियां अभी भी मौके पर ही पड़ी हुई है।
चित्तौड़गढ़ तहसीलदार महीपा कलाल ने बताया कि स्वायत्त शासन विभाग की पेरा फेरी है तो अलग मामला है। हमारे विभाग की पेरा फेरी है तो मामला दिखवाएंगे। पटवारी को मौके पर भेज कर जांच करवाई जाएगी कि पूरा मामला क्या है। हमारे से पेड़ काटने की अनुमति नहीं ली गई।
हिन्दुस्थान समाचार / अखिल / Sandeep Mathur