2047 तक भारत को विश्वगुरु बनाने में युवाओं की निर्णायक भूमिका : राज्यपाल हरिभाऊ बागडे
अजमेर, 25 दिसंबर (हि.स.)। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का त्रयोदश दीक्षांत समारोह गुरुवार को विश्वविद्यालय के सत्यार्थ सभागार में गरिमामय एवं भव्य वातावरण में आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं विश्वविद्यालय गीत के साथ हुआ।
इस माैके पर राज्यपाल एवं कुलाधिपति बागडे ने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन में एक नए आरंभ का प्रतीक है। उपाधि प्राप्त करना ही अंतिम लक्ष्य नहीं होना चाहिए, बल्कि इसके साथ बौद्धिक क्षमता, नैतिक मूल्यों और राष्ट्र के प्रति दायित्वबोध का विकास भी उतना ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह समावर्तन संस्कार प्राचीन भारतीय परंपरा से जुड़ा है, जिसमें गुरु शिष्यों को सत्य, धर्म और विनम्रता के मार्ग पर चलने का उपदेश देते थे।
इस अवसर पर राज्यपाल ने विभिन्न संकायों के 54 शोधार्थियों को विद्या वाचस्पति (पीएचडी) की उपाधि प्रदान की। साथ ही वर्ष 2020 से 2025 के मध्य उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन करने वाले दाे विद्यार्थियों को कुलाधिपति पदक तथा वर्ष 2023, 2024 एवं 2025 में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले 40 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान कर सम्मानित किया गया।
राज्यपाल बागडे ने अजमेर के ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका प्राचीन नाम अजयमेरु था, जिसे चौहान शासक अजयराज ने बसाया। उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती को युगपुरुष बताते हुए कहा कि “वेदों की ओर लौटो” का उनका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने शिक्षा को व्यवहार से जोड़ने, चरित्र निर्माण, आत्मविकास, योग, प्राणायाम, वेद-उपनिषदों के अध्ययन तथा मातृभाषा और संस्कृत के महत्व पर बल दिया।
राज्यपाल ने कहा कि उपाधि प्राप्त विद्यार्थी अपनी शिक्षा का उपयोग राष्ट्र निर्माण में करें और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प के अनुरूप वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र एवं विश्वगुरु बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने विद्यार्थियों से ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया। साथ ही खेलकूद, नैतिकता और पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण का संदेश भी दिया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने बृहस्पति भवन के सामने स्थित दो उद्यानों का नामकरण ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत विहार’ एवं ‘संस्कृति विहार’ करने की घोषणा की।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि दीक्षांत समारोह वह क्षण है, जब विद्यार्थियों के सपनों को औपचारिक मान्यता मिलती है। उन्होंने तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में भारतीय ज्ञान परंपरा, नैतिक मूल्यों और संवेदनशीलता को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि यह समारोह भारत की प्राचीन शिक्षा परंपरा का गौरवशाली उदाहरण है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उपाधि मंजिल नहीं, बल्कि नई उड़ान की शुरुआत है और बदलते समय में नवाचार एवं अनुसंधान पर कार्य करना आज की आवश्यकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित