राष्ट्र निर्माण के इतिहास में जनजातीय समाज का योगदान अतुलनीय – प्रशांत
भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयन्ती पर जनजातीय गौरव दिवस समारोह सम्पन्न -केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर में जनजातीय इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रनिर्माण में योगदान पर हुआ व्यापक विमर्श
जयपुर, 6 दिसम्बर (हि.स.)।
भारत की स्वतंत्रता, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक एकता के इतिहास में जनजातीय समाज का योगदान अतुलनीय है।
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जयपुर के विभाग प्रचारक प्रशांत ने शनिवार को यहां केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के नूतन सभागार में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयन्ती एवं जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि रामायणकाल से लेकर वर्तमान समय तक भारतीय संस्कृति की विभिन्न परतों में जनजातीय संस्कृति एक सशक्त पहचान के रूप में विद्यमान रही है। उन्होंने शोधकर्ताओं से जनजातीय संस्कृति पर गहन अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया।
जनजातीय नायकों के शौर्य, संघर्ष, सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्र निर्माण में उनके अप्रतिम योगदान को स्मरण करने तथा युवाओं में जनजातीय इतिहास के प्रति अध्ययन-रुचि और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन और भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर किया गया। परिसर में बिरसा मुंडा की स्मृति में वृक्षारोपण भी किया गया।
मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री डॉ. कन्हैयालाल मीणा ने बिरसा मुंडा के तप, संघर्ष, त्याग और राष्ट्रप्रेम का उल्लेख करते हुए कहा कि जनजातीय समाज की गौरवशाली परंपरा भारतीय संस्कृति की एक अत्यंत महत्वपूर्ण धरोहर है। उन्होंने औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध जनजातीय समाज द्वारा किए गए जनआंदोलनों और स्वतंत्रता संग्राम में निभाई गई निर्णायक भूमिका पर प्रकाश डाला।
समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ आचार्य प्रो. लोक मान्य मिश्र ने की। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों की परंपराएं भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे कार्यक्रम युवा पीढ़ी में राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक समझ और जनजातीय इतिहास के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सह-निदेशक प्रो. शीशराम ने कहा कि युवा पीढ़ी को भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चलते हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। स्वागत भाषण प्रो. गौरांग बाघ ने दिया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आरती मीना ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन डॉ. सुभाष चन्द्र मीणा ने किया।
इस अवसर पर सह-निदेशक प्रो. बोध कुमार झा, प्रो. कृष्णा शर्मा, डॉ. सच्चिदानन्द स्नेही, प्रो. विष्णु कुमार निर्मल, डॉ. सीमा अग्रवाल, डॉ. दरियाव सिंह, डॉ. बत्तीलाल मीना, डॉ. मनीष चांडक, डॉ. हरिओम शर्मा, डॉ. विनोद शर्मा, डॉ. रामेश्वर दयाल शर्मा, डॉ. विनी शर्मा, डॉ. प्रीती शर्मा, डॉ. कान्ता गलानी, डॉ. सुरेन्द्र जाखड़, डॉ. प्रकाश यादव, डॉ. प्रभात दास, डॉ. श्रुति जैन, डॉ. सत्यकाम आर्य, डॉ. अंजली गौतम, अन्य प्राध्यापकगण, विश्वविद्यालय के कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
----
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता