मनरेगा की हत्या, मोदी सरकार ने छीना काम का अधिकार: सांसद रंजित रंजन
जयपुर, 22 दिसंबर (हि.स.)। कांग्रेस सांसद रंजित रंजन ने विशेष प्रेस वार्ता में केंद्र की मोदी सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने और व्यावहारिक रूप से खत्म करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “सुधार” के नाम पर लोकसभा में पारित नया बिल दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा की हत्या है और यह देश के सबसे गरीब नागरिकों से काम का अधिकार छीनने की जानबूझकर की गई कोशिश है।
सांसद रंजित रंजन ने कहा कि दो दशकों से यह योजना करोड़ों ग्रामीण परिवारों के लिए जीवनरेखा बनी हुई थी और कोविड-19 महामारी के दौरान इसने आर्थिक सुरक्षा कवच का काम किया। लेकिन, अब सरकार ने न केवल गांधी का नाम हटाया है, बल्कि करीब 12 करोड़ मनरेगा मजदूरों के अधिकारों को भी कुचल दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनरेगा के विरोधी रहे हैं। पिछले 11 वर्षों में बजट कटौती, राज्यों के फंड रोकने, जॉब कार्ड हटाने और आधार आधारित भुगतान को अनिवार्य कर लगभग सात करोड़ मजदूरों को योजना से बाहर कर दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले पांच वर्षों में मनरेगा के तहत सालाना काम 50–55 दिनों तक सिमट गया।
उन्होंने कहा कि मनरेगा पूरी तरह केंद्र प्रायोजित योजना थी, लेकिन अब मोदी सरकार राज्यों पर करीब 50 हजार करोड़ रुपये या उससे अधिक का भार डालना चाहती है। केंद्र नियंत्रण और श्रेय अपने पास रखेगा, जबकि खर्च राज्यों को उठाना पड़ेगा। इसे उन्होंने सहकारी संघवाद के खिलाफ बताया। सांसद ने आरोप लगाया कि नए सिस्टम में तय समय के लिए जबरन रोजगार रोका जा सकेगा। फंड खत्म होने या फसल सीजन के नाम पर मजदूरों को महीनों तक काम से वंचित किया जा सकता है। सांसद रंजन ने कहा कि यह फैसला महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान है और ग्रामीण रोजगार पर खुला हमला है। उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस और श्रमिक संगठनों द्वारा इस जन-विरोधी, मजदूर-विरोधी और संघीय ढांचे के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक हर मंच पर विरोध किया जाएगा। प्रेस वार्ता में नेता प्रतिपक्ष टीका राम जूली और पार्टी महासचिव एवं मीडिया चेयरपर्सन स्वर्णिम चतुर्वेदी भी मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित