मिशन आदित्य-एल वन से जुड़े डॉ. जयंत जोशी का दामड़ी में हुआ नागरिक अभिनंदन
डूंगरपुर, 01 दिसम्बर (हि.स.)। जिले के दोवड़ा पंचायत समिति के ग्राम पंचायत दामड़ी के डॉ. जयंत जोशी आदित्य-एल वन मिशन से जुड़े हुए है। आदित्य-एल वन मिशन से जुड़े डॉ .जयंत जोशी का शुक्रवार को नागरिक अभिनंदन किया गया। इस दौरान दामड़ी गांव के ग्रामीणों ने डॉ. जयंत जोशी के निवास पर जाकर डॉ. जोशी का फूलमाला एवं पगड़ी पहनाकर स्वागत अभिनंदन किया एवं इस गौरवमयी उपलब्धि से गांव दामड़ी, डूंगरपुर एवं राजस्थान का नाम रोशन करने हेतु शुभकामनाए दी गई।
डॉ. जोशी बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफिजिक्स (आई.आई.ए.) में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। आदित्य-एल वन मिशन के सबसे जटील एवं महत्वपूर्ण पेलोड, विज़ीबल ऐमिशन लाइन करोनाग्राफ (VELC) का निमार्ण आई.आई.ए. की एम.जी.के. मेनन लैब में हुआ है। डॉ. जोशी उस अनुसंधान टीम का हिस्सा है जो की आदित्य-एल वन मिशन से आने वाले अनुलोकनों पर अनुसन्धान करेगी। डॉ. जोशी को सौर विज्ञान के क्षैत्र में कई वर्षों का अनुभव है। उन्होंने जर्मनी के मैक्स-प्लांक इंस्टिट्यूट से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है एवं नॉर्वे तथा स्वीडन के विश्विवद्यालयों में एक शोधकर्ता के रूप में काम कर चुके हैं। डॉ. जयंत जोशी की माध्यमिक शिक्षा दामड़ी से ही हुई है और एम.एस सी फिजिक्स की शिक्षा मोहनलाल सुखाड़िया विश्विद्यालय उदयपुर से की है।
शुक्रवार को ड़ॉ. जयंत जोशी के गाँव दामड़ी पहुंचने पर ग्रामीणों ने गर्म जोशी से स्वागत किया। इस दौरान ड़ॉ. जोशी ने ग्रामीणों के साथ आदित्य-एल वन मिशन को लेकर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि 3 सितम्बर 2023 को भारत में आदित्य-एल वन मिशन का प्रक्षेपण हुआ था। उन्होंने बताया कि 2007 में इस परियोजना की कल्पना की गई थी और बहुत सारी सरकारों के बीच में इसका प्रस्ताव रखा गया था जिसके बाद 2013 में इस प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू हुआ था। इस प्रोजेक्ट में समग्र भारत की विभिन्न संस्थानों ने इसरो के साथ मिलकर इस परियोजना को मूर्त रूप दिया। जनवरी के प्रथम सप्ताह में यह मिशन अपने निर्धारित लक्ष्य पर पहुँचेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्धेश्य सूर्य की किरणों व गतिविधियों को समझना हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान भी मानता है कि सभी लोग एक दूसरे से जुड़े हुए है तथा किसी भी योजना की सफलता में सभी का सहयोग व योगदान रहता है। इस परियोजना में हजारों वैज्ञानिक जुड़े हुए है। उन्होंने बताया कि आदित्य-एल वन मिशन भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक योगदान है जिस पर विदेशी वैज्ञानिक भी अनुसंधान कर सकेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/संतोष व्यास/ईश्वर