अस्पताल में पेट दर्द से तड़प-तड़पकर बच्चे की मौत, कंपाउंडर सस्पेंड

 


टोंक, 20 अगस्त (हि.स.)। सआदत जिला हॉस्पिटल परिसर स्थित जनाना अस्पताल में पेट दर्द होने पर इलाज के लिए मंगलवार सुबह लाए गए 11 साल के बच्चे की मौत हो गई। परिजन और उनके साथियों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया और हंगामा शुरू कर दिया। आरोप है कि बच्चा पेट दर्द से तड़पता रहा, लेकिन अस्पताल में किसी ने उसका इलाज नहीं किया। परिजन ने ड्यूटी डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ पर हत्या का केस दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

सूचना मिलने पर कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को समझाया। इसके बाद पोस्टमॉर्टम करवा कर शव परिजन को सौंप दिया। मामले में अस्पताल प्रशासन ने कंपाउंडर को सस्पेंड कर दिया है। पीएमओ डॉक्टर बीएल मीना ने बताया कि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर इरफानुद्दीन ने बच्चे को देखा था। हालत खराब होने पर उसे जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल रेफर कर दिया था। इसके कुछ समय बाद ही बच्चे की मौत हो गई। बरोनी थाना क्षेत्र के नला निवासी पिता अशोक बैरवा ने बताया कि बेटे आयुष को मंगलवार सुबह करीब चार बजे पेट दर्द हुआ। उसके बाद उसे निवाई के सरकारी अस्पताल लेकर गए। जहां उसका इलाज किया गया। बच्चे की हालत को देखते हुए डॉक्टर ने टोंक के सआदत जिला हॉस्पिटल परिसर स्थित जनाना अस्पताल रेफर कर दिया। सुबह करीब 6:30 बजे टोंक के जनाना अस्पताल लेकर आए, जहां कोई डॉक्टर नहीं मिला। उसके बाद हम नर्सिंग स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी। आखिरकार दो घंटे बाद करीब 8:30 बजे बच्चे ने दम तोड़ दिया।

बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा कर दिया। समाज के कई लोग भी मौके पर पहुंच गए और लापरवाह डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे कोतवाली थाना अधिकारी भंवर लाल वैष्णव ने परिजन को समझाया। करीब डेढ़ घंटे तक हंगामा चला। निष्पक्ष जांच के आश्वासन पर करीब 10:30 बजे परिजन पोस्टमॉर्टम करवाने पर तैयार हुए। पुलिस ने 11:30 बजे पोस्टमॉर्टम करवाकर शव परिजन को सुपुर्द कर दिया। परिजनों ने ड्यूटी डॉक्टर समेत अन्य जिम्मेदार मेडिकल स्टाफ के खिलाफ बच्चे की हत्या का मामला दर्ज करने के लिए कोतवाली थाने में रिपोर्ट दी है।

पिता अशोक बैरवा, भीम सेना जिलाध्यक्ष अशोक बैरवा और एडवोकेट विनोद लांबा ने बताया कि बच्चे को समय रहते किसी ने नहीं देखा। निवाई से बच्चे को ड्रिप लगाकर भेजा था। टोंक के अस्पताल में बच्चे का कोई इलाज नहीं किया गया। बच्चे के न तो नई ड्रिप चढ़ाई गई और न ही कोई अन्य ट्रीटमेंट दिया गया। मरने से थोड़ी देर पहले जब बच्चा तड़पने लगा तो 15-20 मिनट वार्ड में लिया था। जहां भी कोई इलाज नहीं किया गया। चाहे तो अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे चेक कर लो। सब सच सामने आ जाएगा। डॉक्टर तो दूर, नर्सिंग स्टाफ ने भी इलाज शुरू नहीं किया। अशोक बैरवा किसान हैं। आयुष के अलावा उनकी चार साल की एक बेटी है। आयुष छठी कक्षा में पढ़ता था। अशोक के पिता के तीन भाई हैं। इन चारों भाइयों के परिवार में आयुष इकलौता लड़का था।

पीएमओ डॉक्टर बीएल मीना ने बताया कि बच्चा यहां रेफर होकर मंगलवार सुबह 6:45 बजे के बाद आया था। सुबह 6:52 बजे बच्चे को डॉक्टर इरफानुद्दीन ने देखा था। 8:03 बजे बच्चे को जयपुर रेफर कर दिया, लेकिन वे बच्चे को ले नहीं गए। 8:30 बजे बच्चे ने यहीं दम तोड़ दिया। मामले में अस्पताल प्रबंधन ने वार्ड में ड्यूटी देने वाले कंपाउंडर कमलेश बैरवा को सस्पेंड कर उसका मुख्यालय जयपुर कर दिया है। थाना अधिकारी भंवर लाल वैष्णव ने बताया कि मामले में मृतक के परिजन इलाज में लापरवाही से बच्चे की मौत होने का आरोप लगा रहे हैं। इसकी जांच के बाद नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित / संदीप