सांगानेर खुली जेल की सुरक्षा में किए जाएंगे बदलाव
जयपुर, 20 मार्च (हि.स.)। सांगानेर खुली जेल से कैदियों के भागने और अपराध में लिप्त पाए जाने के कई मामले सामने आने के बाद अब जेल सुरक्षा में कई बदलाव किए जाएंगे। जेल से काम पर बाहर जाने और जेल में आने पर अब इन कैदियों की तलाशी ली जाएगी। इसके अलावा इनके व्यवहार में आने वाले बदलाव पर भी खास नजर रखी जाएंगी। खुली जेल की चारों तरफ की क्षतिग्रस्त दीवारों की भी मरम्मत की जा रही है।
गौरतलब है कि जयपुर की सांगानेर खुली जेल से हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा एक बंदी फरार हो गया था। रोल कॉल के दौरान मौजूद नहीं होने पर जेल प्रशासन को बंदी के फरार होने का पता चला। मालपुरा गेट थाने में जेल प्रशासन की ओर से फरार बंदी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है। हालांकि बाद में इस बंदी को अरेस्ट कर लिया गया। इसके अलावा हाल ही एक अपराधी के चोरी के मामले में लिप्त पाए जाने की जानकारी जेल प्रशासन को मिली थी। इस पर आरोपित को फिर से खुली जेल से मुख्य जेल में भेज दिया गया है। हाल ही जेल से काम पर गए एक बंदी से एक युवक पर जानलेवा हमला कर दिया था। इन सब वारदातों को ध्यान में रखकर जेल प्रशासन यहां पर रहने वाले बंदियों पर पाबंदी बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। डॉ. सम्पूर्णानंद बंदी खुला शिविर सांगानेर में पहले भी कई कैदियों का ऐसा रिकॉर्ड सामने आ चुका है। यहां पर बंदी अपने परिवार के साथ रहते है और उन्हें यहां पर रहकर काम पर जाने और परिवार को पालने की छूट होती है। राजस्थान की खुली जेलों में बड़ी संख्या में कैदी अकाउंटेंट, स्कूल शिक्षक, घरेलू नौकर और सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते हैं, यहां तक कि हत्या के लिए सजा काट रहे कैदी भी जीविकोपार्जन के लिए बाहर काम पर जाते है। राजस्थान की खुली जेलों पर 2017 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ये जेलें न केवल कैदियों के सुधार और समाज में वापस पुनर्वास का शीघ्र अवसर प्रदान करती हैं, बल्कि पैसे और कर्मचारियों के मामले में भी कम खर्च करती हैं, जिसके आधार पर मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था। सरकारें खुली जेलों की क्षमता का पूर्ण उपयोग और विस्तार करें और साथ ही अधिक खुली जेलें स्थापित करें।
राजस्थान की पहली खुली जेल 1955 में स्थापित
डॉ. सम्पूर्णानंद बंदी खुला शिविर राजस्थान की पहली खुली जेल थी जो 1955 में जयपुर के पास दुर्गापुरा में एक फार्म में स्थापित की गई थी, जिसमें कैदियों को पहले अपने परिवारों के साथ रहने और फार्म या उसके आसपास काम करने की अनुमति दी गई थी। वैचारिक रूप से, खुली जेलें उन कैदियों के पुनर्वास के लिए विकसित की गईं, जिन्होंने अपनी सजा लगभग पूरी कर ली थी। 19वीं सदी में अमेरिका में विकसित हुई शुरुआती खुली जेलों में, रिहाई के करीब आने वाले कैदियों को उनके व्यवहार का मूल्यांकन करने के लिए मजदूरों के रूप में काम करने के लिए भेजा जाता था। भारत में, 1953 में उत्तर प्रदेश में स्थापित सबसे प्रारंभिक खुली जेल में ऐसे कैदियों को रखा जाता था, जिन्हें वाराणसी के पास चंद्रप्रभा नदी पर बांध बनाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 की रिपोर्ट के आधार पर राज्यों से प्रत्येक जिले में एक खुली जेल स्थापित करने को कहा जिसमें राजस्थान की खुली जेल प्रणाली की सफलता का विवरण दिया गया था।
आईजी, कारागार विक्रम सिंह नक बताया कि प्रदेश में करीब 50 खुली जेल चल रही है। अगर कोई कैदी यहां से फरार हो जाता है तो उसके खिलाफ सख्ती की जाती है। अगर वहीं नहीं सुधरता है तो उसे मुख्य जेल में भेज दिया जाता है। सांगानेर खुली जेल की सुरक्षा को भी मजबूत किया जा रहा है। जेल के कुछ हिस्सों में दीवारें क्षतिग्रस्त है तो कुछ स्थानों पर नहीं है। नई दीवार बनाने और मरम्मत का काम किया जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/संदीप