अस्थमा मरीजों ने जनता,सरकार और वैज्ञानिकों से अस्थमा की रोकथाम में उनके द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के लिए प्रार्थना की
जयपुर, 28 जनवरी (हि.स.)। डबल्यूएचओ ने अधिकतम प्रदूषण स्तर 10यूजी निश्चित कर रखी है लेकिन भारत में यह स्तर नौ गुना ज्यादा यानी 90 यूजी तक है। इसे अब भगवान ही ठीक कर सकते हैं। अस्थमा के मरीजों ने रविवार को बिरला सभागार में आयोजित कार्यक्रम ‘आई लव क्लीन एयर’ में भगवान से यह अनोखी प्रार्थना की। भगवान के साथ ही सभी मरीजों ने जनता, सरकार और वैज्ञानिकों से भी अस्थमा की रोकथाम में उनके द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के लिए प्रार्थना की। वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र सिंह, डॉ. शितू सिंह और डॉ. निष्ठा सिंह ने यहां मौजूद करीब एक हजार मरीजों को अस्थमा के साथ जीने की कला सिखाई।
कार्यक्रम के आयोजक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि हम रोज एक किलो भोजन, 3 लीटर पानी और 13 किलो हवा लेते हैं। भोजन ने एक छोटा सा कंकर आने, थोड़ा भी गंदा पानी पीने में आ जाए तो परेशान हो जाते हैं लेकिन 24 घंटे दूषित हवा लेते हैं, उस पर कोई चिंता नहीं करते। इसके लिए हमने अस्थमा पेशेंट्स के साथ मिलकर जनता, सरकार, वैज्ञानिकों और भगवान से अस्थमा को बढ़ाने वाले कारकों को खत्म करने की प्रार्थना की। इस दौरान सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रविंद्र सिंह राव ने हार्ट से जुड़ी रोचक जानकारियां साझा की।
चार में से एक मरीज को ही अपनी बीमारी का पता
डॉ. शितू सिंह ने कहा कि दूषित हवा से अस्थमा होने पर दुनिया में सबसे ज्यादा मरीजों की मौत भारत में होती है। जागरूकता की कमी के कारण, देश में अस्थमा के चार में से सिर्फ एक ही मरीज को अपने अस्थमा होने की जानकारी है। विश्व में अस्थमा से होने वाली मौतों में से 43 प्रतिशत मौत सिर्फ भारत में होती है।
डॉ. निष्ठा सिंह ने बताया कि इस वर्कशॉप में मरीजों को अस्थमा के साथ सावधानियां और जीवनशैली अपनाने के बारे में जानकारी दी गई। मरीजों को खुद से शपथ दिलाई गई की कि वे पेड़ लगाएंगे, इलेक्ट्रिक वाहन खरीदेंगे और धूम्रपान बंद कर देंगे। मरीजों ने जनता से बायोमास के स्थान पर एलपीजी का उपयोग करने और धूम्रपान बंद करने, सरकार से एलपीजी और ग्रीन एनर्जी के लिए सब्सिडी प्रदान करने, वैज्ञानिकों से फसल जलाने की जगह तकनीक विकसित करने और भगवान से पीएम 2.5 के स्तर को कम करने की प्रार्थना की।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर