अशोक गहलोत का केंद्र सरकार पर तीखा हमला, कहा-मनरेगा को कमजोर करने की साज़िश
जयपुर, 30 दिसंबर (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर मनरेगा के मूल स्वरूप को खत्म करने की साज़िश रचने का गंभीर आरोप लगाया है। गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी बयान में उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत की ‘जीवनरेखा’ कही जाने वाली मनरेगा को कमजोर करने का प्रयास न केवल निंदनीय है, बल्कि यह करोड़ों गरीब और वंचित परिवारों को फिर से अंधकार और अभाव की ओर धकेलने वाला कदम है।
गहलोत ने कहा कि यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शी सोच से वर्ष 2005 में मनरेगा को कानूनी सुरक्षा कवच के रूप में लागू किया गया था। इस योजना ने करोड़ों परिवारों को गरीबी के दलदल से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई।
पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के स्थान पर लाई जा रही नई योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि 60:40 के फंडिंग पैटर्न को लागू करना वास्तव में इस योजना का गला घोंटने जैसा है। इससे राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाला जा रहा है, जिससे वे योजना को प्रभावी रूप से लागू करने से पीछे हटने को मजबूर होंगे।
उन्होंने सबसे अधिक चिंता ‘एग्रीकल्चर पॉज़’ के प्रावधान को लेकर जताई। गहलोत ने कहा कि खेती के व्यस्त समय में मनरेगा कार्यों को बंद करना ग्रामीण मजदूरों की मोलभाव करने की शक्ति को खत्म करने का प्रयास है। इससे मजदूरों को कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जो सीधे तौर पर गरीब विरोधी नीति को दर्शाता है।
गहलोत ने अपने ट्वीट में राजस्थान का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराने में देश के अग्रणी राज्यों में रहा है। विशेषकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था और महिलाओं को रोजगार देने में मनरेगा की भूमिका ऐतिहासिक रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गरीब विरोधी मानसिकता के साथ मनरेगा के स्थान पर लाई जा रही किसी भी नई योजना का कांग्रेस विरोध करती है और मनरेगा को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने की मांग करती है।
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह ग्रामीण भारत की रीढ़ तोड़ने के बजाय गरीबों, मजदूरों और किसानों के हितों की रक्षा करे।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित