संस्कारों से संस्कृति और संस्कृति से ही राष्ट्र की पहचान एवं अस्तित्व : अनिल ओक

 


जयपुर, 19 अक्टूबर (हि.स.)। संस्कारों से संस्कृति और संस्कृति से ही राष्ट्र की पहचान एवं अस्तित्व होता है। इसके लिए स्वस्थ मूल्यों की स्थापना आवश्यक है। इनमें हमारी विविध कलाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। संस्कार भारती इसी उद्देश्य को लेकर कला, साहित्य और सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना के लिए एक सामूहिक प्रयास कर रही है। गुलाबी नगर जयपुर के मानसरोवर की कृष्णा सागर कालोनी स्थित महेश्वरी समाज जनोपयोगी भवन “अभिनंदन“ के सभागार में 19 अक्टूबर, 2024 को संस्कार भारती की अखिल भारतीय साधारण सभा के उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने ये विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सफल मानव जीवन के लिए हमारी संस्कृति में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चार पुरुषार्थ को महत्व दिया गया है। इसके लिए शरीर को व्यायाम से, बुद्धि को शिक्षा से और मन को संस्कारों से साधना आवश्यक है। इसीलिए हमें मनसा, वाचा और कर्मणा से सभ्य और सुसंस्कृत समाज बनाने और स्वस्थ मूल्यों की स्थापना करते रहना है।

ओक ने वीर सावरकर और उनकी धर्मपत्नी के संवाद, जोरावरसिंह-फतेहसिंह, भामाशाह आदि प्रसंगों को विस्तार से अवगत कराते हुए बताया कि ये सभी अपने संस्कार और समर्पण से ‘‘देश ने हम को सबकुछ दिया-हम भी कुछ दें‘‘ इस संकल्प को आत्मसात करते हुए स्वस्थ जीवन मूल्यों और संस्कारों का मार्ग प्रशस्त किया। संगीत, चित्रकला, नृत्य कला आदि कलाओं में निहित संदेश को समझने पर बल देते हुए ओक ने कहा कि कलाएं संस्कार से मन को अच्छा और बुद्धि का मार्गदर्शन करती है और शरीर कर्म करता है। इस प्रकार के संकल्प और समर्पण से जीवन सफल और सार्थक बनता है और सार्थक जीवन से मानव हस्ती बनता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की यह विशेषता है आज विश्व में जिस प्रकार के युद्ध का वातावरण है उसमें शांति स्थापना के लिए मार्गदर्शन करने का सामर्थ्य है।

पद्श्री तिलक गिताई और पद्मश्री मुन्ना मास्टर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कारों का भारतीय संस्कृति और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने में महत्वपूण योगदान है। चित्र, नृत्य, मूर्ति, संगीत सभी कलाओं से संस्कार मिलते हैं और जीवन मूल्यों को पुष्ट करते हैं।

संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री डॉ. अश्विन दलवी ने अतिथियों और देश भर से आए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए गालव ऋषि की तपोभूमि, गोविंददेवजी और मोतीडूंगरी गणेश आराध्य स्थली और विश्व विरासत में शामिल पं. विद्याधर के सुन्दर नगर नियोजन के लिये पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र जयपुर में हम सभी चिर पुरातन और नित्य नूतन की आशा के अनुरूप विचार-विमर्श करेंगे। डॉ.रमेश अग्रवाल ने विश्वास व्यक्त किया कि देश के विभिन्न भागों से सम्मिलित पदाधिकारी और प्रतिनिधि इस अवसर पर रचनात्मक वैचारिक मंथन कर सकेंगे।

संस्कार भारती की जयपुर प्रांत की अध्यक्ष डॉ. मधु भट्ट तैलंग ने सभी अतिथियों और प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया। प्रारंभ में सभी अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्प अर्पित किए। डॉ. सौरभ भट्ट, झिलमिल भट्ट, अनुज भट्ट एवं अभिनय भट्ट ने संस्कार भारती ध्येय गीत प्रस्तुत किया। संचालन क्षेत्र प्रमुख नवीन शर्मा ने किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित