कृषि शोध स्थानीय जलवायु के अनुरूप हो, टिकाऊ खेती के लिए स्थानीय तकनीकें ज्यादा कारगर- प्रो दीक्षित

 


बीकानेर, 25 फ़रवरी (हि.स.)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित तथा स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के पादप रोग विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित आधुनिक पादप रोग प्रबंधन की प्रभावी रणनीतियां विषय पर 21 दिवसीय शीतकालीन वैज्ञानिक प्रशिक्षण के समापन रविवार को हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि कृषि शोध स्थानीय जलवायु के अनुरूप होने चाहिए। उन्होंने टिकाऊ खेती के लिए स्थानीय तकनीकों एवं प्राकृतिक खेती को ज्यादा कारगर बताया। उन्होंने पादप रोग प्रबंधन में स्थानीय व्यावहारिक ज्ञान को आजमाने की राय दी।

समारोह में कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण पादपों में नये- नये रोग लक्षित हो रहे हैं जिनका नियंत्रण आवश्यक है। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.पी. के. यादव ने स्वागत उद्बोधन दिया। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. दाताराम में बताया कि प्रशिक्षण के दौरान कुल 53 व्याख्यान हुए तथा वैज्ञानिकों को स्थानीय आईसीएआर संस्थानों एवं प्रक्षेत्रों का भ्रमण करवाया गया। प्रशिक्षण में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, आसाम, गुजरात तथा त्रिपुरा राज्यों के 25 वैज्ञानिकों ने भाग लिया जिन्हें पादप रोग प्रतिरोधकता हेतु बायोटेक्नोलॉजी, पादप जींस एडिटिंग, रोग प्रबंधन में नैनो टेक्नोलॉजी, ट्राइकोडर्मा के उपयोग आदि विषयों पर विस्तार से प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण के सफल आयोजन में डॉ. अर्जुन यादव, डॉ. बी.डी.एस. नाथावत तथा डॉ. सुशील खारिया ने सहसंयोजक की भूमिका को सफलतापूर्वक निभाया। इस अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए तथा अतिथियों द्वारा प्रशिक्षण पुस्तिका का विमोचन किया गया। इस अवसर पर निदेशक अनुसंधान डॉ. पी. एस. शेखावत ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आईसीएआर द्वारा एसकेआरएयू को इस प्रकार का प्रशिक्षण स्वीकृत करने की सराहना की। कार्यक्रम के दौरान प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. सुभाष चंद्र, मानव संसाधन विकास निदेशालय के निदेशक डॉ. ए. के. शर्मा सहित सभी विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर