लोकतंत्र के महापर्व के बाद उदयपुर में होगा विशाल सनातनी नगर भण्डारा

 


उदयपुर, 10 नवंबर (हि.स.)। उदयपुर के बलीचा स्थित राजराजेश्वर बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रहे सर्व समाज सनातनी चातुर्मास का विसर्जन लोकतंत्र के महापर्व के कारण दो दिन आगे बढ़ा दिया गया है। पूर्व में सनातनी चातुर्मास के समापन की तारीख 25 नवम्बर निर्धारित थी, लेकिन राजस्थान में 25 नवम्बर को मतदान होने से अब चातुर्मास का समापन 27 नवम्बर को होगा। इस दिन विशाल नगर भण्डारे के साथ संत समाज की विदाई होगी।

पंचायती निरंजनी अखाड़ा मढ़ी मनमुकुंद के दिगम्बर खुशाल भारती महाराज ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि लोकतंत्र के महापर्व की मर्यादा का सम्मान करते हुए 16 नवम्बर से होने वाली राम कथा भी स्थगित की गई है। यह रामकथा अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास पं. प्रेम भूषण महाराज करने वाले थे। अब यह कथा मार्च में नई तिथि प्राप्त होने पर प्रस्तावित की गई है। यह कथा उदयपुर शहर के भीतर किसी बड़े मैदान में रखी जाएगी, ताकि अधिकाधिक श्रद्धालु कथा श्रवण का लाभ ले सकें।

दिगम्बर खुशाल भारती महाराज ने बताया कि आचार संहिता में अधिक संख्या में एकत्र होने की मर्यादा होने के साथ ही बड़ी संख्या में भक्तों के आवागमन की भी समस्या सामने आई, इसी कारण कथा स्थगित की गई। और मतदान दिवस जो कि हमारे देश के लोकतंत्र का महापर्व है, उसे सर्वोपरि रखते हुए चातुर्मास का विसर्जन भी दो दिन आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने सर्व समाज से लोकतंत्र के महायज्ञ में मतदान रूपी आहुति अवश्य अर्पित करने का आह्वान किया है।

महाराज ने बताया कि सर्वसमाज सनातनी चातुर्मास के इस ऐतिहासिक आयोजन के बाद उसके विसर्जन में देश भर से नागा साधुओं सहित विभिन्न संत-महंतों का आगमन होगा। यह आगमन 15 नवम्बर से शुरू हो जाएगा। उदयपुर शहरवासियों को चातुर्मास परिसर में मिनी कुम्भ के दर्शन होंगे। बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर मार्ग में 54 धुणियां लगाई जाएंगी। इन धुणियों पर साधु-संत चातुर्मास विसर्जन दिवस तक लगातार साधना करेंगे। भक्तगण इस दौरान साधु-संतों के दर्शन व आशीर्वाद का लाभ प्राप्त कर सकेंगे।

सर्व समाज सनातनी चातुर्मास सेवा समिति के मीडिया संयोजक मनोज जोशी ने बताया कि आचार संहिता की मर्यादा की पालना में राम कथा को स्थगित किया गया है। अब व्यवस्था समिति के सदस्य चातुर्मास विसर्जन की तैयारियों में जुट गए हैं। 26 व 27 नवम्बर को यहां मिनी कुम्भ मेले सा माहौल होगा। 26 को भजन संध्या भी होगी। 27 नवम्बर को विशाल नगर भण्डारे के साथ ही साधु-संन्यासियों, संत-महंतों, स्थानधारियों को पंचायती निरंजनी अखाड़ा की परम्परानुसार विदाई प्रदान की जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुनीता कौशल/संदीप