राज्य में डेयरी विकास के लिये एक हजार करोड़ रुपये का कोरपस फण्ड बनाने की स्वीकृति

 


-आरसीडीएफ की दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता बढकर होगी 75 लाख लीटर प्रतिदिन, पशु आहार उत्पादन क्षमता भी होगी 2550 मैट्रिक टन प्रतिदिन

जयपुर, 4 नवंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर सरकार ने राज्य में डेयरी क्षेत्र के व्यापक विकास के लिए एक हजार करोड़ रुपये के कोरपस फंड के गठन को मंजूरी दी है। यह राशि राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फंड के रूप में स्वीकृत की गई है। इस निर्णय से राज्यभर की सहकारी डेयरियों और उनसे जुड़े लाखों दुग्ध उत्पादकों को सीधा लाभ मिलेगा। डेयरियों के आधारभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण से न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक संभावनाएं भी सशक्त होंगी।

राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) की प्रशासक एवं प्रबंध संचालक श्रुति भारद्वाज ने बताया कि यह पहली बार है जब राज्य सरकार ने डेयरी विकास के लिए इतनी बड़ी राशि स्वीकृत की है। उन्होंने कहा कि इस फंड से आरसीडीएफ और जिला दुग्ध संघों की दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को 52 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 75 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा। अलवर, उदयपुर, बांसवाड़ा, भरतपुर और सवाईमाधोपुर में अत्याधुनिक डेयरी प्लांट्स स्थापित किए जाएंगे।

सीकर-झुंझुनूं, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, जोधपुर और कोटा के मौजूदा डेयरी संयंत्रों का विस्तार एवं आधुनिकीकरण किया जाएगा।

कोटा, उदयपुर और राजसमंद में नए अत्याधुनिक संयंत्रों की स्थापना की जाएगी।

जोधपुर पशु आहार संयंत्र का विस्तारीकरण किया जाएगा।

पाली और हनुमानगढ़ जिलों में 60 मैट्रिक टन क्षमता वाले नए डेयरी प्लांट स्थापित होंगे।

भारद्वाज ने बताया कि आरसीडीआईडीएफ योजना के तहत पशु आहार संयंत्रों की उत्पादन क्षमता को वर्तमान 1,800 मैट्रिक टन प्रतिदिन से बढ़ाकर 2,500 मैट्रिक टन प्रतिदिन किया जाएगा।

इसी प्रकार पाउडर प्लांट्स की क्षमता को 165 मैट्रिक टन प्रतिदिन से बढ़ाकर 225 मैट्रिक टन प्रतिदिन किया जाएगा। कोरपस फंड में 10 प्रतिशत राशि आरसीडीएफ अपने लाभांश से और 10 प्रतिशत जिला दुग्ध संघों द्वारा दी जाएगी।

फंड के लिए बैंकों या वित्तीय संस्थानों से उचित ब्याज दर पर ऋण लिया जा सकेगा।

इस योजना के तहत केंद्र सरकार तीन प्रतिशत और राज्य सरकार तीन प्रतिशत ब्याज सब्सिडी प्रदान करेगी, जो कुल छह प्रतिशत ब्याज रियायत के बराबर होगी।

राज्य सरकार का यह कदम डेयरी उद्योग को आधुनिक, आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती मिलेगी और दुग्ध उत्पादकों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित