चारागाह भूमि का आवंटन करने पर राजस्व सचिव और कलेक्टर से मांगा जवाब
जयपुर, 23 सितंबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने चारागाह भूमि का आवंटन सामाजिक संस्था को करने पर राजस्व सचिव और जयपुर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश रवि कुमावत की जनहित याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी ने अदालत को बताया कि वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था कि चारागाह भूमि का आवंटन अन्य प्रयोजन के लिए नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने 25 अप्रैल 2011 को एक अधिसूचना जारी कर कलेक्टर को भूमि आवंटन का अधिकार दे दिया। याचिका में कहा गया कि चारागाह भूमि समाप्त होने से इकोलॉजिकल बैंलेस बिगड जाएगा और बेजुबान पशुओं की मौत हो जाएगी। इसके अलावा कानूनन चारागाह भूमि का ना तो किसी को आवंटित किया जा सकता है और ना ही इसका नियमितीकरण या अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग किया जा सकता है। याचिका में कहा गया कि जिले के नरेना कस्बे की चारागाह भूमि पर एक सामाजिक संस्था ने कब्जा कर रखा है। वहीं अब इस भूमि को राज्य सरकार कब्जाधारी सामाजिक संस्था को आवंटित किया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री से लेकर सभी संबंधित अधिकारियों को शिकायत भेजी गई है, लेकिन संस्था के दबाव में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिका में गुहार लगाई है कि इस अधिसूचना को निरस्त कर अब तक जितनी भी चारागाह भूमि की किस्म को बदला गया है, उसे वापस चारागाह में बदला जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
हिन्दुस्थान समाचार/ पारीक/ ईश्वर