बिश्नोई धर्म स्थापना का 539 वां दिवस : शोभायात्रा, हवन, जागरण के साथ सामाजिक विकास का संकल्प
बीकानेर, 6 नवंबर (हि.स.)। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के तत्वावधान में जिले के नोखा के समीप मुक्तिधाम मुकाम में 539 वे बिश्नोई धर्म स्थापना दिवस के अवसर पर मुक्तिधाम मुकाम श्री गुरू जम्भेश्वर भगवान के समाधि स्थल मंदिर परिसर में जागरण सत्संग का आयोजन समाज के संत महापुरूषों के सानिध्य में हुआ। मुकाम पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी रामानन्द मुकाम ने जाम्भौजी की वाणी उपदेश उन्नतीस नियमों पर विस्तृत बताया उन्नीस नियम आज भी मानव मात्र के कल्याणकारी हैं। स्वामी कृष्णानन्द आचार्य ऋषिकेश, स्वामी रामकृष्ण, महंत स्वामी भागीरथ दास शास्त्री सभी ने सदउपदेश सांखिया धार्मिक उद्बोधन दिया।
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेन्द्र बूड़िया, रूपाराम कालीराणा महासचिव, रामस्वरूप धारणियां कोषाध्यक्ष, जयसुख सीगड़ सरपंच माणकासर, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, अखिल भारतीय जम्भेश्वर सेवकदल के पदाधिकारी भारतवर्ष से आएं। बिश्नोई समाज के हजारों श्रद्धालुओं ने जागरण सत्संग श्रवण किया। मुक्तिधाम मुकाम मंदिर में हवन यज्ञ के बाद संत महात्माओं के सानिध्य में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेन्द्र बूड़िया के नेतृत्व में मुक्तिधाम मुकाम से समराथल धोरा तपोभूमि के लिए शोभायात्रा गुरू जाम्भौजी की वाणी जयकारों कीर्तन करते हुए रवाना हुए। जिसमें मुकाम पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी रामानन्दन जी, स्वामी भागीरथदास जी शास्त्री समाज के सभी संतों का सानिध्य रहा।
समराथल धोरा पर स्वामी महंत रामाकृष्ण , महंत स्वामी छगनप्रकाश , स्वामी कृष्णानन्दन आचार्य सभी संतों द्वारा गुरू जाम्भौजी अमृमयी वाणी से हवन यज्ञ व पाहल बनाया। आज से ठीक 538 वर्ष पहले गुरू जम्भेश्वर भगवान ने मानव समाज को धर्म का सदउपदेश बिश्नोई पंथ का पंथ पर्वतन किया। आज बिश्नोई समाज ने 539 वां बिश्नोई धर्म स्थापना दिवस धूम धाम से मनाया। श्री गुरू जाम्भौजी की जन्मभूमि (जन्मस्थली) पींपासर में जाम्भौजी के मंदिर का जीर्णोद्धार शिलान्यास महात्माओं के सानिध्य में किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप