श्रीनाथ मंदिर में 350 साल पुराना परीक्षण कर 27 अनाज से बताया, इस बार सावन-भादो अच्छी बारिश

 


राजसमंद, 22 जुलाई (हि.स.)। नाथद्वारा स्थित श्रीनाथ मंदिर में 350 साल पुरानी आषाढ़ी तौल परंपरा से सालभर में होने वाले बिजनेस, फसल और बारिश का पूर्वानुमान लगाया गया। सोमवार को ग्वाल दर्शन के बाद हुई इस परंपरा के बाद ये अनुमान लगाया गया कि इस बार प्रदेश में अच्छी फसल होगी। लेकिन, पशुओं के लिए चारा कम होगा। वहीं अच्छी बारिश होने का दावा किया गया। जबकि हवा को लेकर दावा किया गया कि इस बार ​पश्विमी दिशा की हवाओं का असर ज्यादा रहेगा।

मंदिर के पुरोहित डॉ. परेश नागर पंड्या ने बताया कि खर्च भण्डार में रविवार शाम 27 तरह के अनाज और सामग्रियों को तौल कर अनाज भंडार में रखा गया था। तौलने के दौरान सामग्री वजन में कम ज्यादा होने के आधार पर सालभर का पूर्वानुमान निकाला गया है। आषाढ़ी तौल में इस बार वजन बढ़ा है। नाथद्वारा में हर साल आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को श्रीनाथजी मंदिर के खर्च भंडार में यह परंपरा 350 साल से निभाई जा रही है। इसका कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन बताया जाता है कि श्रीनाथजी 352 साल पहले ब्रज से मेवाड़ में आए थे। वो सिहाड़ गांव में रुके थे। विक्रम संवत 1728 (20 फरवरी 1672 ईस्वी) को श्रीनाथजी नाथद्वारा में पाट पर विराजे थे। ये परंपरा तभी से शुरू हुई है।

इस परंपरा के मुताबिक 22 प्रकार के धान, काली व लाल मिट्टी, नमक, गुड़ व चारा सहित कुल 27 प्रकार की सामग्रियां तौली जाती हैं। इस तौल से अगले साल होने वाली पैदावार, व्यापार व मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसे आषाढ़ी तौलना कहते हैं।

रविवार को पूर्णिमा पर तौल कर रखे गए धान व सामग्रियों को सोमवार सुबह भगवान श्रीनाथ के ग्वाल दर्शन के वक्त श्रीजी के मुख्य पंड्या, खर्च भंडार के भंडारी व कर्मचारियों की मौजूदगी में सुबह तौला गया था। श्रीजी के मुख्य पंड्या डॉ परेश नागर ने कहा कि इस साल अनाज की पैदावार ज्यादा होगी। बारिश सामान्य से अधिक गर्जना के साथ वर्षा की सम्भावना है। पूर्वानुमान की भाषा के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस बार आषाढ़ में पांच आना, श्रावण में चार आना, भाद्रपद में तीन आना और आसोज में चार आना (प्रतिशत) बारिश होगी। यानी इस बार बारिश सामान्य से ज्यादा होगी। साथ ही वायु की दिशा पश्चिम रहने से तेज हवा और गर्जना के साथ बारिश का दौर चलेगा।

डॉ. नागर ने बताया कि दाे तरह की सामग्री कपास और लाल गारा (पशु) का वजन बराबर आया। इनका उत्पादन आगामी साल में समान रहेगा। घास के तौल में कमी हुई है। वहीं 24 तरह की सामग्री के वजन में वृद्धि हुई है। इनमें हरा मूंग, मक्की सफेद, मक्की पीली, बाजरा, ज्वार, साल सफेद, साल लाल, चमला छोटा, चमला मोटा, तिल्ली सफेद, तिल्ली काली, उड़द, मोठ, ग्वार, जव, गेहूं काठा, गेहूं चन्द्रेसी, चना पीला, चना लाल, सरसों पीली, सरसों लाल, गुड़, नमक, काला गारा (मिट्टी) में बढ़ोतरी के संकेत है। यहां काला गारा (काली मिट्टी) को मनुष्य और लाल गारा (लाल मिट्टी) को पशु का प्रतीक माना जाता है।

आस-पास के गावों में इस पूर्वानुमान के आधार पर किसान फसलों की बुवाई करते हैं। अनाज व्यापारी भी इसी पूर्वानुमान के आधार पर अपने स्टॉक की योजना बनाते हैं। आषाढ़ी तौर करते वक्त मंदिर परिसर के खर्च भण्डार में मंदिर के पुरोहित डॉ. परेश नागर पंड्या, खर्च भंडारी दिनेश पुरोहित, खर्च भंडारी सहायक फतेहलाल गुर्जर मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित / संदीप