इंदौर: सोया खेती पर कार्यशाला रविवार को, मिलेगी सोयाबीन की 300 प्रजातियां
इंदौर, 14 सितम्बर (हि.स.)। मध्यप्रदेश सोयाबीन उत्पादन के मामले में देश में पहले पायदान पर है इसलिए मध्यप्रदेश को सोया स्टेट कहा जाता है। इसी उपलब्धि पर आर्थिक नगरी इंदौर में सोयाबीन किसान दिवस एवं भविष्य की खेती मॉडल विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की जा रही है। जिसमें किसानों एवं वैज्ञानिकों की सहभागिता से तैयार सोयाबीन की 300 प्रजातियों का प्रदर्शन रविवार को टेकरी मां कृषक - सह भागिता, बीज अनुसंधान फार्म, तेजाजी नगर, पुष्प कुंज हॉस्पिटल के पास, खंडवा रोड़, इंदौर पर किया गया है। जिसमें कृषि विशेषज्ञ डॉ व्ही पी सिंह बुंदेला होंगे, जबकि विशिष्ट अतिथि डॉ पी सी दुबे (आईएफएस ), पूर्व प्रधान वन संरक्षक एवं अध्यक्ष विशेषज्ञ समिति, मप्र शासन तथा डॉ प्रभाकर चौधरी, नेशनल मैनेजर, सुमिटोमो केमिकल इंडिया लि ,मुंबई होंगे। उल्लेखनीय है कि डॉ बुंदेला चिंतन कार्यक्रम के तहत भविष्य की खेती मॉडल पर अपना उद्बोधन देंगे , जिसमें सोयाबीन की खेती की भविष्य संभावनाओं और चुनौतियों पर विचार प्रकट करेंगे।
प्रातः 9 बजे से 2 बजे तक आयोजित इस कार्यक्रम में सोयाबीन बीज की चाहत रखने वाले किसानों के लिए सुनहरा मौका है, जहां उन्हें एक साथ सोयाबीन की 300 प्रजातियों को देखने का मौका मिलेगा।
जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश में 55-60 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती होती है, जो देश में सबसे बड़ा क्षेत्रफल है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन पर अनुसंधान की सुविधाएं भी हैं, लेकिन अभी तक मौसम प्रतिरोधी सोयाबीन की किस्म उपलब्ध नहीं कराई गई है। पहले से चली आ रही फसल की प्रतिरोधक क्षमता अब खत्म होने की कगार पर है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है। किसानों के अनुसार, खेती की लागत बढ़ रही है, लेकिन खराब किस्म के बीज के कारण उत्पादन में कमी आ रही है। इससे किसानों को कम रिटर्न मिल रहा है। इस कारण किसान सोयाबीन की खेती छोड़कर धान और मकई की खेती की ओर जा रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा