मप्रः कुबेरेश्वरधाम पर कार्तिक आंवला नवमीं पर महिलाओं ने की आंवला पेड़ की पूजा-अर्चना
सीहोर, 21 नवंबर (हि.स.)। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर भव्य परिसर में परिवार की सुख समृद्धि के लिए मंगलवार को आंवला नवमीं पर महिलाओं द्वारा आंवला पौधे की परिक्रमा लगाकर पूजा-अर्चना की गई। महिलाओं ने आंवला के पास घर से बनाकर लाए गए पकवानों का भोग लगाया और उन्हीं पकवानों से अपना व्रत खोला। मंदिर परिसर में लगे आंवला वृक्ष के नीचे सामूहिक रूप से महिलाओं द्वारा पूजा-अर्चना की गई।
कुबेरेश्वर धाम में आंवला नवमीं धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर विठलेश सेवा समिति की ओर से पंडित विनय मिश्रा, समीर शुक्ला, मनोज दीक्षित मामा सहित अन्य ने यहां पर आए भक्तों को खिचड़ी का वितरण किया। इसके अलावा यहां पर मौजूद विप्रजनों ने पूजा-अर्चना की। कुबेरेश्वर धाम के महंत कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण महाराष्ट्र के नासिक में मंगलवार से आरंभ हो गई है। सोमवार को उनके सानिध्यम में भव्य अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया था। जिसमें डेढ़ लाख से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की थी, वहीं मंगलवार को भी आंवला नवमी का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मंदिर परिसर में मनाया गया।
समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि इस अवसर पर महिलाओं द्वारा सामूहिक पूजन, वृक्ष परिक्रमा सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रम श्रद्धा पूर्वक संपन्न किए गए। इस दौरान महिलाओं ने आंवला की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा की। इस दौरान महिलाओं द्वारा घर से बनाकर लाई गई भोजन सामग्री को सामूहिक रूप से बैठकर ग्रहण किया गया। आंवला नवमी के चलते महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा की। सूर्योदय के साथ ही महिलाओं द्वारा आंवले के पेड़ की पूजा शुरू की गई। कार्तिक स्नान कर महिलाओं ने आंवले के तने की कपूर और घी का दीपक जलाकर पूजा की। आंवला नवमी की कहानी सुनी। पेड़ ग्यारह परिक्रमा कर पति और पुत्र की लंबी उम्र की कामना की।
उन्होंने बताया कि इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण, दान का विशेष विधान है। महिलाओं ने पूजन, तर्पण, दान करके अक्षत फल की प्राप्ति की कामना की। प्रतिवर्ष अनुसार मंदिर में आंवला नवमी पर्व क्षेत्र भर में धूमधाम के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने आंवला वृक्ष की पूजा अर्चना एवं वृक्ष की परिक्रमा कर अपनी मनोकामना पूर्ण करने की कामना की। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है। महिलाओं द्वारा सुबह से ही आंवले के वृक्ष के पूजन की तैयारी की गई। आंवले के वृक्ष की पूजा अर्चना करती देखी गई। महिलाओं ने वृक्ष की परिक्रमा की एवं वृक्ष के चारों और मनोकामना पूर्ति के लिए कच्चा धागा बांधा, एवं आंवले की जड़ में दूध भी चढ़ाया गया। समिति के द्वारा भी आंवला नवमीं के दिन दो दर्जन से अधिक आंवले के पौधों का वितरण भी किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/नेहा