अनूपपुर: आदिवासियों की अनोखी परंपरा, अच्छी बारिश और बेहतर खेती के लिए इंद्रदेव को अर्पित करते हैं अन्न

 




अनूपपुर, 1 जून (हि.स.)। जिले में आदिवासी समुदाय द्वारा अच्छे मानसून तथा बारिश की कामना को लेकर के बेदरीइंद्र की आराधना की। आदिवासी समुदाय का मानना है कि इससे आगामी वर्षा ऋतु में अच्छी बारिश होगी और बारिश अच्छी होने से खेती भी अच्छी होगी। प्रतिवर्ष की ग्रीष्म ऋतु में आदिवासी समुदाय के द्वारा यह पूजा की जाती है।

खेरवाहीन देवी ,बड़ा देव, और धरती मां की करते हैं पूजा

बेदरी इंद्र की पूजा शुक्रवार को अनूपपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत दैखल में खेरवा में की गई। जहां सबसे पहले खेरवाहिन देवी, बड़ा देव और धरती मां की पूजा की गई। जिन्हें ग्रामीणों के द्वारा अपने घरों से अन्न लाकर के देवताओं को अर्पित किया गया इसके साथही बेदरी इंद्र की पूजा करते हुए इंद्रदेव से आगामी बारिश के मौसम में अच्छे मानसून की कामना की गई।

एक दिन पहले गांव में कराई जाती है मुनादी, पूजा वाले दिन जल स्रोत का नहीं करते उपयोग

70 वर्षीय चैतु चौधरी ने बताया कि यह पूजा प्रतिवर्ष की जाती है जिसे वह बचपन से देखते आ रहे हैं। नौतपा के समय यह पूजा की जाती है जिसमें एक दिन पहले पूरे गांव में मुनादी कराई जाती है तथा ग्रामीणों को इसकी सूचना दी जाती है। जिसके अंतर्गत ग्रामीण पूजा की सारी तैयारी एक दिन पहले ही कर लेते हैं। इसके साथ ही एक दिन पहले ही घर के उपयोग के लिए पानी भर लिया जाता है क्योंकि पूजा वाले दिन जब तक पूजा ना हो जाए कुएं, हैंडपंप या अन्य किसी जल स्रोत का उपयोग पूरी तरह से वर्जित होता है।

गांव की रक्षा तथा खुशहाली के लिए करते हैं प्रार्थना

65 वर्षीय राजू सिंह ने बताया कि बेदरीइंद्र की पूजा के दौरान सभी ग्रामीण एकजुट होकर के पूजा अर्चना करते हुए गांव की रक्षा तथा खुशहाली की कामना करते हैं। जिसमें पूजन करते हुए अच्छी बारिश की कामना की जाती है। पूर्व के वर्षों में किसान कृषि कार्य पर ही मुख्य रूप से आश्रित थे जिसके कारण अच्छे मानसून तथा अच्छी वर्षा के लिए वह ईश्वर से प्रार्थना थे जिस की अच्छी बारिश से पर्याप्त अनाज प्राप्त हो सके तथा गांव में भुखमरी तथा गरीबी का सामना लोगों को ना करना पड़े।

उपवास रहकर करते हैं पूजा, पूजा के पश्चात एक साथ करते हैं भोजन

ग्राम पंचायत दैखल के पंच भंवर सिंह ने हिस को बताया कि पूजा से पहले सभी ग्रामीण उपवास रखते है और खेरवा में अपने घर से लाए हुए अनाज के साथ एकत्रित होते हैं। इसके पश्चात सभी एक साथ बेदरी इंद्र की पूजा करते हैं इसके पश्चात पूजा स्थल पर ही बकरे की बली दी जाती है। इसके पश्चात सभी एक साथ बैठ करके प्रसाद ग्रहण करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला