उज्जैनः सोमनाथ के पुरातत्विक अवशेष से तैयार दो शिवलिंग रविवार को लाएंगे महाकालेश्वर मंदिर
उज्जैन, 12 दिसंबर (हि.स.)। आर्ट ऑफ लिविंग के मुख्यालय बैंगलुरू पर सोमनाथ के पुरातात्विक अवशेष से तैयार 11 शिवलिंगों में से 2 शिवलिंग रविवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन लाए जाएंगे। ये शिवलिंग महाकालेश्वर मंदिर लाएंगे,,जहां आमजन भी दर्शन कर सकेंगे। महाकालेश्वर के आंगन में सोमनाथ के शिवलिंग की उपस्थिति दिव्य माहौल तैयार करेगी। सोमनाथ से आनेवाले शिवलिंगों को लेकर वैज्ञानिक भी अभिभूत हैं।
यह जानकारी आरूषि दास ने दी। उन्होने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में रविवार को बाबा महाकाल के आंगन में भगवान सोमनाथ के शिवलिंग लाए जाएंगे। आर्ट ऑफ लिविंग मुख्यालय, बैंगलुरु में सोमनाथ के पुरातत्विक अवशेष से तैयार 11 शिवलिंगों में से 2 शिवलिंग लाए जाएंगे। उन्होने बताया कि त्रिवेणी द्वार से प्रात: 9.30 बजे शिवलिंगों की शोभायात्रा प्रारंभ होकर महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी। यहां गर्भगृह में प्रात: 11 बजे बाबा महाकाल और सोमनाथ शिवलिंग का मिलन और पूजन प्रक्रिया होगी। पंचोपचार पूजन के बाद इन शिवलिंगों को जूना महाकाल के पास दर्शन के लिए रखा जाएगा। इस दौरान प्रदेश के संस्कृति मंत्री धर्मेन्द्रसिंह लोधी भी उपस्थित रहेंगे।
19 को ओंकारेश्वर जाएंगे शिवलिंग
दास ने बताया कि उज्जैन से यात्रा इंदौर जाएंगी और 14 दिसंबर की शाम गांधी हॉल में रुद्रपूजा होगी। 17 दिसंबर को यात्रा महू जाएगी और चक्की वाले महादेव मंदिर में सार्वजनिक पूजन होगा। 19 दिसंबर को शिवलिंगों का ओंकारेश्वर में भगवान ओंकार के साथ मिलन होगा। यात्रा यहां से आलीराजपुर, बुरहानपुर, भोपाल, बैतूल होते हुए जबलपुर जाएगी।
इसलिए दिव्य हैं शिवलिंग
आर्ट ऑफ लिविंग की मोनल पटेल ने बताया कि बैंगलुरु से आने वाले यह शिवलिंग इस मायने में दिव्य हैं क्योंकि यह सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के अवशेष से बने हैं। चुंबकीय प्रभाव के कारण जमीन से ऊपर रहने वाले इस ज्योर्तिलिंग को सन् 1026 में महमूद गजनवी से नष्ट कर दिया था। शिवलिंग के टूटे अवशेषों को अग्निहोत्री ब्राह्मणों ने अपने पास सुरक्षित रख लिया था। इनकी संख्या 11 थीं। इन अवशेष को उन्होंने 1924 में कांची कामकोटि के तत्कालीन शंकराचार्य को सौंपा था। तब शंकराचार्यजी ने उनसे कहा था कि 100 साल बाद इन अवशेषों को बैंगलुरु में आश्रम स्थापित करने वाले वाले शंकर को सौंप देना। उनकी आज्ञा का पालन करते हुए पुरोहित सीताराम शास्त्री ने इन अवशेषों को आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर को सौंपा था। इन अवशेष से ही 11 शिवलिंग तैयार किए गए हैं। इनमें से 2 उज्जैन लाए जा रहे हैं।
इनका कहना है..
इस संबंध में वैज्ञानिक चंद्रशेखर नेत्रबिले का कहना है कि इसप्रकार के शिवलिंग की संरचना उन्होने कभी नहीं देखी। वे इसे देखकर ही अभिभूत हैं। उन्होने बताया कि पृथ्वी पर इस तरह की कोई संरचना नहीं देखी गई है। कोई उल्कापिंड भी नहीं हो सकता। ऐसे में यह पिण्ड न तो अंतरिक्ष का है और न ही धरती का। उनके दावा किया कि भारत के वैज्ञानिक यह नहीं बता पा रहे हैं कि शिवलिंग में चुम्बकीय गुण क्यों हैं ?
ऐसी है शिवलिंग की रासायनिक संरचना
मैग्नेशियम : 3.17 प्रतिशत
सिलिकॉन : 8.50 प्रतिश्शत
सल्फर : 7. 53 प्रतिश्शत
आयरन : 2.18 प्रतिशत
बेरियम : 78.62 प्रतिशत
महमूद गजनवी ने किया था मंदिर में विध्वंस
इस्वी 1025 में आततायी महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर में विध्वंस किया था। तोडफ़ोड़ करके शिवलिंग को अपवित्र कर दिया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्वेल