जान जोखिम में डालकर रपटा पार कर रहे ग्रामीणों का आवागमन हुआ बंद
मुरैना, 09 सितंबर (हि.स.)। क्वारी नदी रपटे के ऊपर चल रहे तेज बहाव के पानी में ग्रामीणजन आवागमन कर रहे थे। प्रशासन द्वारा अनहोनी की संभावना के चलते इस रपटे से आवागमन बंद करा दिया है। ग्राम पंचायत सेंथरी व खिटोरा के क्वारी नदी रपटे पर 3 से 4 फुट पानी होने के बावजूद भी आम लोग नदी पार कर अपना जीवन संकट में डाल रहे हैं। जिला कलेक्टर अंकित अस्थाना ने सोमवार को इस रपटे को अस्थाई रूप से बेरीकेट्स लगवाकर बंद कराते हुये प्रशासन के राजस्व व ग्रामीण पंचायत के अधिकारी 24 घंटों के लिये तैनात करने के निर्देश दिये हैं। मौके पर उपस्थित अधिकारी कर्मचारी निगरानी बनाये हुये हैं।
आवागमन के लिये नदियों के ऊपर बने रपटा पुल पर तेज बहाव से निकल रहे पानी का खौफ भी ग्रामीणजन को भयभीत नहीं कर पा रहा है। रपटों पर 3 से 4 फुट पानी होने के बावजूद भी लोग नदी पार करते हुये जान जोखिम में डाल रहे हैं। प्रशासन ने ऐसे रपटों पर आवागमन बंद करने के लिये प्रयास तो किया है, लेकिन ग्रामीणजन रपटा पार करने से मान नहीं रहे हैं। जिले के पहाडग़ढ़ क्षेत्र के जंगल व पहाड़ी क्षेत्रों में हुई अत्यधिक वर्षा के कारण जिले की क्वारी नदी पूरी तरह उफान पर है। बीते 8 दिवस से पहाडग़ढ़ विकास खण्ड क्षेत्रान्तर्गत ग्राम पंचायत सेंथरी के खिटोरा मार्ग पर क्वारी नदी के ऊपर निर्मित रपटा पानी में डूबा हुआ है। इस रपटे पर तेज बहाव के साथ तीन से चार फुट पानी चलने के बाद भी ग्रामीणों का आवागमन रूक नहीं रहा था। जिससे जनहानि की संभावना उत्पन्न हो गई है। इन रपटों पर आवागमन रोकने के लिये ग्राम पंचायत तथा राजस्व का अमला मौजूद नहीं था।
प्रशासन ने रपटे के दोनों ओर लगाये बेरीकेट्स -
जिला प्रशासन द्वारा इस आवागमन को अस्थाई रूप से बंद कराने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों ने विफल कर दिया। प्रशासन ने पुलिस की सहायता से किसी भी अनहोनी घटना को रोकने के लिये सेंथरी खिटोरा मार्ग पर निर्मित रपटे को अस्थाई रूप से रविवार से रात बंद करा दिया है। रपटा पर दोनों ओर कटीले झाड़ लगा दिये गये हैं। ग्राम पंचायत व राजस्व का अमला निरंतर निगरानी कर रहा है। जिससे आवागमन वर्तमान में बंद हो चुका है। जिला कलेक्टर अंकित अस्थाना ने जिले के सभी नागरिकों से अपील की है कि जिले में स्थित नदियों के रपटे पर पानी होने की स्थिति में पार न किये जाये।
हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा