उज्जैन: म.प्र.गृह निर्माण मण्डल की शिवांगी परिसर योजना पर 10 करोड़ खर्च, अब बुकिंग कैसिंल
उज्जैन, 27 जून (हि.स.)। म.प्र.गृह निर्माण मण्डल द्वारा इंदौर रोड़ के गोयलाखुर्द में करोड़ो रूपए लागत से तैयार की गई शिवांगी परिसर योजना अब समाप्त हो गई है। उपायुक्त के अनुसार उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद उक्त भूमि से कब्जा छोड़ दिया है। करीब 10 करोड़ रूपए खर्च हो गए थे। जिन्होंने अपने मकान बुक करवाए थे, उनसे अपील है कि वे गृह निर्माण मण्डल के कार्यालय आकर अपनी मूल राशि और उसका 6 प्रतिशत ब्याज वापस ले जाए। संभावना व्यक्त की कि अब वहां निजी कालोनी आकार लेगी।
म.प्र.गृह निर्माण मण्डल, उज्जैन द्वारा गोयलाखुर्द में 2.8 हैक्टेयर भूमि पर अपनी आवासीय कालोनी एवं तीन व्यावसायिक टॉवर का निर्माण शिवांगी परिसर के नाम से कर रही थी। इस योजना के तहत एलआयजी,एचआयजी,एमआयजी के अलावा व्यावसायिक दुकानें एवं फ्लेट बनाए जाना थे। कुल सात श्रेणी के 138 मकानों की कीमत मण्डल द्वारा 17 से 60 लाख रूपए तक रखी थी। निर्माण की करीब 41 करोड़ रूपए की प्रशासकीय अनुमति शासन से मिलने के बाद निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था। टीएनसीपी, नगर निगम से अनुमति मिल गई थी। स्वीकृत ले आउट अनुसार काम चल रहा था।
इस जमीन का 4.19 हैक्टेयर हिस्से का आवंटन करीब 17 वर्ष पूर्व राजस्व विभाग ने आवंटन मण्डल के पक्ष में किया था। तत्कालिन समय कम मुआवजा स्वीकृत होने को लेकर जमीन मालिक हाई कोर्ट के बाद सुप्रिम कोर्ट में पहुंचे थे। मण्डल के उपायुक्त व्हाय.के.दोहरे के अनुसार उस समय न्यायालय ने मण्डल की जमीन करार दी थी। उसके बाद मण्डल ने 0.61 हैक्टेयर भूमि पर मकान बनाकर हितग्राहियों को दे दिए थे। शेष बची 3.58 हैक्टेयर भूमि पर योजना अब धरातल पर आई थी। योजना के तहत पहले चरण में मकान और दूसरे चरण में दुकानों का निर्माण प्रस्तावित था। दुकानों के लिए 55 हजार वर्गफिट जमीन आरक्षित की गई थी।
10 करोड़ से अधिक खर्च हो गए
उपायुक्त श्री दोहरे के अनुसार करीब 10 करोड़ रूपए तो निर्माण कार्य में खर्च कर चुके थे। अभी भी अन्य ठेकेदारों, कन्सलटेंट्स के रूपए भुगतान हेतु बचे हैं। चूंकि यह कालोनी सभी विभगों की एनओसी के साथ स्वीकृत हुई थी,अत: अब यहां निजी भूमि स्वामी कालोनी काटेंगे तो उन्हे कोई नई अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं रहेगी। जिन 30 हितग्राहियों ने बुकिंग की थी, उन्हे सूचित किया है कि वे आकर अपनी मूल राशि और उसका 6 प्रतिशत ब्याज राशि ले जाए। इस प्रश्न पर कि इस पूरे मामले में आखिर मण्डल से चूक कहां हुई? शासन को हुए नुकसान की जवाबदारी किसकी रही? इसके लिए किसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है? उन्होने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/ ललित ज्वेल