श्योपुर: भागवत कथा में श्रीकृष्ण और रुक्मणी विवाह के प्रसंग पर झूमे श्रद्धालु, बरसाए फूल

 


— कराहल में आयोजित भागवत कथा का छटवां दिन

श्योपुर, 19 जुलाई (हि.स.)। कस्बे के हनुमान कुटी करियादेह तिराहा पर पिपरौनिया परिवार द्वारा आयोजित की जा रही भागवत कथा के छठे दिन शुक्रवार को महारास लीला और श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग का मनोहारी वर्णन किया। कथा व्यास पंडित रोहित कृष्ण शास्त्री ने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है।

भागवत कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुकमणी विवाह के प्रसंग का वर्णन किया गया। कथा व्यास पंडित रोहित कृष्ण शास्त्री ने महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। कथा स्थल पर रूकमणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण रुकमणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई। इस दौरान कथा व्यास ने कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। जो कुंवारी बालिकाएं श्रीकृष्ण रूकमणि विवाह प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करती है, उन्हें अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद

हिन्दुस्थान समाचार / शरद शर्मा / नेहा पांडे