रतलाम के घटनाक्रम पर विधानसभा में हंगामा, वाशरूम में सीसीटीवी से लेकर रेप केस तक उठे गंभीर मुद्दे
भोपाल, 5 दिसंबर (हि.स.)। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में स्कूलों की सुरक्षा और निजी विद्यालयों की मनमानी को लेकर शुक्रवार को बड़ा मुद्दा उठा। रतलाम जिले में हाल ही में घटित घटनाओं स्कूल वाशरूम में सीसीटीवी कैमरे लगाने, एक छात्र के तीसरी मंजिल से कूदने, और स्कूल परिसर में हुए रेप केस ने सदन का ध्यान आकर्षित किया। बीजेपी विधायक राजेंद्र पांडे ने इन मामलों पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगाते हुए सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की।
विधायक पांडे ने कहा कि रतलाम के एक निजी स्कूल में वाशरूम के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने से छात्रों और अभिभावकों में भय और असुरक्षा की स्थिति पैदा हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई निजी स्कूल छात्रों और अभिभावकों को लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने रतलाम में ही हुए एक रेप केस का उल्लेख करते हुए कहा कि निजी स्कूलों पर निगरानी और नियंत्रण बहुत कमजोर है, जिसके कारण ऐसे गंभीर अपराध स्कूल परिसरों में ही घट रहे हैं।
उन्होंने सवाल किया कि सीबीएसई स्कूलों पर राज्य सरकार का क्या नियंत्रण है? अक्सर देखा जा रहा है कि सीबीएसई से संबद्ध स्कूल जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के निर्देशों को तवज्जो नहीं देते, जिससे राज्य स्तर की निगरानी लगभग निष्प्रभावी हो जाती है। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था और बच्चों की सुरक्षा के लिए बेहद चिंताजनक है।
ध्यानाकर्षण का जवाब देते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि रतलाम नगर में दिनांक 28 नवम्बर 2025 को अशासकीय विद्यालय बोधि इंटरनेशनल स्कूल, रतलाम में 13 वर्ष के छात्र विषयक तीसरी मंजिल से कूदने संबंधी घटना के संबंध में अशासकीय विद्यालय बोधि इंटरनेशनल स्कूल, रतलाम की प्राचार्य डॉली चौहान के विरूद्ध पुलिस थाना, औद्योगिक क्षेत्र, रतलाम में दिनांक 29 नवम्बर को प्राथमिकी दर्ज की गई है। विद्यालय प्रबंधन द्वारा प्रकरण में जांच पूर्ण होने तक प्राचार्य को अस्थाई रूप से निलंबित कर दिया गया है।
उपरोक्त घटना के संबंध में संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण, उज्जैन संभाग उज्जैन द्वारा संस्था को मध्यप्रदेश माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शालाओं की मान्यता नियम 2017 के नियम 11(1) के तहत मान्यता निलंबित करने के संबंध में तीन दिसम्बर को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है। साथ ही उनका कहना था कि प्रदेश के अशासकीय स्कूलों में इस प्रकार की घटना प्रकाश में आने पर सरकार द्वारा सख्त कार्यवाही की जाती है। उपरोक्त संस्था के विरुद्ध भी नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। संस्था के छात्रों में किसी प्रकार का गये होने एवं अशासकीय स्कूलों के प्रति आमजन में आक्रोश व्याप्त नहीं है ।मंत्री ने बताया कि सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक क़दम उठाए हैं और आगे भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इसके साथ ही मंत्री ने छात्र द्वारा तीसरी मंजिल से कूदने की घटना पर भी चिंता जताई और कहा कि सरकार सभी स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू करेगी। इसमें मोबाइल के दुरुपयोग, मानसिक स्वास्थ्य, तनाव और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से जागरूकता दी जाएगी, ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों।
सीबीएसई स्कूलों की जवाबदेही के विषय में मंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार सभी सीबीएसई स्कूलों को एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) जारी करती है, तभी उन्हें मान्यता मिलती है। यदि किसी सीबीएसई स्कूल में अनियमितता, अपराध या गंभीर लापरवाही की शिकायत मिलती है तो सरकार को अधिकार है कि वह उनकी एनओसी तुरंत वापस ले। ऐसी स्थिति में स्कूल की मान्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा में उठा यह मुद्दा एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या स्कूल—जहाँ बच्चों के भविष्य की नींव रखी जाती है, वास्तव में सुरक्षित हैं? छात्रों के वाशरूम में कैमरे लगाना गोपनीयता, सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के खिलाफ गंभीर अपराध है। इसके अलावा, स्कूल परिसर में रेप जैसी घटना होना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और सुरक्षा प्रबंधन की कमियों को उजागर करता है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी