मप्रः जानलेवा जापनीज इन्सेफेलाइटिस से मिलेगी मुक्ति, 27 फरवरी से लगेगा टीका

 




भोपाल, 20 फरवरी (हि.स.)। जापानीज इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान के लिए जिला टास्क फोर्स बैठक का आयोजन मंगलवार को कलेक्टर सभागार में किया गया। यह टीकाकरण 27 फरवरी से प्रारंभ होगा। इसमें एक साल से 15 साल तक की उम्र के बच्चों को इस गंभीर बीमारी से बचाव के लिए टीका लगाया जाएगा। भोपाल में अनुमानित 9 लाख बच्चों को टीके लगेंगे। अभियान के प्रथम चरण में जे.ई. टीके नियमित टीकाकरण सत्रों में लगाए जाएंगे। दूसरे चरण में यह टीके स्कूलों में भी लगाए जाएंगे। अभियान के पश्चात यह वैक्सीन नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किए जाने का प्रस्ताव है।

टीकाकरण अभियान के संबंध में आयोजित जिला टास्क फोर्स बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत ऋतुराज सिंह ने अधिकारियों से चर्चा कर आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस गंभीर बीमारी से बचाव के लिए सभी परिजन अपने बच्चों को टीका अवश्य लगवाएं। यह टीका शासन द्वारा नि:शुल्क लगाया जाएगा।

क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है ये बीमारी

जापानी इंसेफेलाइटिस वेक्टर बोर्न डिजीज है। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर रुके हुए पानी में रहते हैं, और रात के समय काटते हैं । Ardeidae प्रजाति के विचरण करने वाले पक्षी और सूअर इस बीमारी के फ्लेवी वायरस के मुख्य संवाहक होते हैं।जापानी इंसेफेलाइटिस बीमारी को पहली बार जापान में देखा गया था, इसलिए इस बीमारी का नाम जापानी इंसेफेलाइटिस पड़ा।

भारत के कई राज्यों में पहले से ही लग रही है ये वैक्सीन

इस बीमारी का प्रकोप देश के 22 राज्यों में है। देश के 333 जिलों में यह वैक्सीन अभियान पूर्व में संचालित किया गया है। 21 राज्यों के 234 जिलों में यह वैक्सीन नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल हो चुकी है। सरकार द्वारा इस बीमारी के प्रकोप को कम करने के लिए प्रदेश में भी इस वैक्सीन की शुरुआत की जा रही है।

गंभीर और घातक है जापानी इंसेफेलाइटिस

जापानी इंसेफेलाइटिस घातक बीमारी है। संक्रमण के बाद विषाणु व्यक्ति के मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी सहित केंद्रीय नाड़ी तंत्र में प्रवेश कर जाता है। इस बीमारी के अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। गंभीर मामलों में सिर दर्द व ब्रेन टिशूज की सूजन या इंसेफेलाइटिस की समस्या हो सकती है। अन्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, कपकपी, उल्टी, तेज बुखार, गर्दन में अकड़न हो सकती है। पीड़ित व्यक्ति को झटके भी आ सकते हैं। उपचार नहीं करवाने पर मृत्यु भी हो सकती है।

1 से 15 साल की उम्र के बच्चों को खतरा अधिक

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि इस बीमारी का खतरा 1 से 15 साल की उम्र के बच्चों को अधिक होता है। इस बीमारी से संक्रमित 80% से अधिक लोग इसी आयुवर्ग के होते हैं। इसीलिए प्राथमिकता के आधार पर 1 से 15 साल के बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं। टीके लगवा कर इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है।भोपाल जिले में पिछले 8 सालों में जापानी इंसेफेलाइटिस के 23 प्रकरण सामने आए हैं। यह सभी लोग स्वस्थ हो चुके हैं।

सुरक्षित और प्रभावी है जे. ई. का टीका

जापनीज इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए टीका लगाया जाना जरूरी है। यह टीका कई राज्यों में पहले से ही लगाया जा रहा है और पूरी तरह से सुरक्षित और कारगर है। शासन द्वारा यह टीका निशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है। टीका लगाने के स्थान पर हल्का सा दर्द हो सकता है जो कि प्रायः सभी इंजेक्शन लगवाने पर होता है। इसके अतिरिक्त इस वैक्सीन का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है।

अन्य विभागों एवं गैर सरकारी संगठनों के समन्वय से किया जाएगा टीकाकरण

जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान में समन्वय एवं सहयोग के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, नगर निगम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग एवं गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया गया है। अभियान में मप्र जन अभियान परिषद एवं स्वास्थ्य सहायता समूहों द्वारा भी सहयोग किया जाएगा।

बैठक मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा इन विभागों के अधिकारियों को स्वास्थ्य विभाग से समन्वय करते हुए शत प्रतिशत टीकाकरण करवाने के निर्देश दिए गए।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश