मप्र विस चुनाव : मतदान के साथ ही उम्मीदवारों का भाग्य पेटियों में बंद

 


रतलाम, 17 नवंबर (हि.स.)। नई विधानसभा के गठन के लिए प्रदेश सहित रतलाम जिले में भी आज विधानसभा के प्रतिनिधियों के लिए निर्वाचन संपन्न हुए। प्रात: से ही मतदान केंद्रों पर मतदान करने वालों की भीड़ देखी गई। कही ज्यादा तो कही कम भीड़ का यह सिलसिला मतदान समाप्त होने तक चलता रहा। जिले के सभी 40 उम्मीदवारों के भाग्य मतपेटियों में बंद हो गए है, जिनका फैसला अब 3 दिसंबर को होगा।

मतगणना के साथ ही 3 दिसंबर को यह भी तय हो जाएगा कि मध्यप्रदेश में किस दल की सरकार बनेगी और हमारे प्रदेश का भाग्य विधाता भी भविष्य में कौन बनेगा? किसकी सरकार बनेगी, कौन मुख्यमंत्री बनेगा इसका गुणा-भाग उस दिन से ही शुरू हो गया था, जिस दिन से चुनाव की घोषणा हुई। मतदाता के मन में क्या है यह कोई टटोल नहीं सका और किस विधानसभा क्षेत्र से कौन विधायक बनेगा इसका केवल आंकलन ही लोग करते रहे। सर्वे करने वाली टीमों ने सर्वे किया,लेकिन कोई भी इस बात को कहने को तैयार नहीं है कि किस विधानसभा से कौन विधायक चुना जायेगा? सट्टा बाजार भी उम्मीदवारों की हार जीत को लेकर ऊंचा-नीचा होता रहा।

जिन विधानसभा सीटों पर जैसे रतलाम ग्रामीण, सैलाना, आलोट तथा जावरा में त्रिकोणात्मक संघर्ष है वहां निर्दलीय उम्मीदवार दलीय उम्मीदवारों के लिए चुनौती बने हुए है। स्वयं उम्मीदवार भी आश्वस्त नहीं है कि उनकी नैय्या पार हो ही जाएगी। इस बार जिन-जिन विधानसभाओं में बागी या प्रभावी निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हुए है वहां काटे की टक्कर जैसी स्थिति निर्मित हुई है, इनमें ही उपरोक्त चारों विधानसभा सीटें है जो रतलाम जिले की है।

रतलाम ग्रामीण में वैसे उम्मीदवार पांच मैदान में है, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के पूर्व विधायक मथुरालाल डामोर तथा कांग्रेस के लक्ष्मणसिंह डिंडोर के बीच में है, लेकिन यहां तीसरी शक्ति के रुप में उभरे जयस के डा. अभय ओहरी भी चुनौती के रुप में खड़े हुए है जिन्होंने दोनों उम्मीदवारों के लिए हार-जीत का निर्णय करना मुश्किल कर दिया है। यह तय उस समय होगा जब मतगणना होगी।

सैलाना विधानसभा में 10 उम्मीदवार मैदान में है। यहां जयस के कमलेश डोडियार दलीय उम्मीदवार के लिए चुनौती बन गए है। लोग अपनी विधानसभा क्षेत्र में यह कहते हुए देखे गए कि डोडियार का प्रभाव किन-किन गांवों में है ताकि वहां पकड़ की जा सके। यह किन-किन उम्मीदवारों के वोट काटेंगे यह भी लोग पता नहीं लगा पाए। यहां वर्तमान विधायक कांग्रेस प्रत्याशी हर्षविजय गेहलोत तथा पूर्व विधायक भाजपा प्रत्याशी संगीता चारेल के बीच टक्कर है। यहां कांग्रेस का गढ़ रहा है। केवल तीन या चार बार गैर कांग्रेसी उम्मीदवार विजयी हुए है। कांग्रेस यहां आश्वस्त है कि इस बार भी जीत हमारी होगी। वहीं भाजपा भी मुख्यमंत्री के कार्यों से अपनी जीत को पक्का मान रहे है और परिवर्तन का दावा कर रहे है। यह निर्णय मतगणना के समय होगा, अभी यह कहना मुश्किल है कि ऊंट किस करवट बैठेगा?

आलोट विधानसभा में 9 उम्मीदवार मैदान में है। यहां दो पूर्व सांसद चुनाव लड रहे है, जो वर्तमान विधायक कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चावला को चुनौती दे रहे है। भाजपा ने क्षेत्र के पूर्व सांसद चिंतामणी मालवीय को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद्र गुड्डू टिकिट न मिलने से निर्दलीय रुप में चुनाव मैदान में खड़े हो गए है। इन्हें उम्मीद है कि क्षेत्र में उनकी पकड़ है और मतदाता उनके साथ है,लेकिन सर्वे रिपोर्ट में किसी की भी जीत के प्रति कोई आश्वस्त नहीं है। प्रदेश में भाजपा की सरकार है। मुख्यमंत्री की लम्बी-चौड़ी योजनाएं क्षेत्र में क्रियान्वित हुई है। करोड़ों रुपये के काम भी इस विधानसभा क्षेत्र में हुए है। शिवराजसिंह मंत्री मंडल में राज्यमंत्री रहे और बाद में केंद्रीय मंत्री बने थावरचंद गेहलोत ने भी इस क्षेत्र में करोड़ों रुपये के विकास कार्य करवाए। उसका लाभ भाजपा को मिलेगा ऐसा भाजपा कार्यकर्ता सौच रहे है और भाजपा प्रत्याशी चिंतामणी मालवीय भी इसी विश्वास के साथ मतदाताओं के बीच में गए। इन सब के अपने-अपने दावें है जो मतगणना में सामने आएंगे कि मतदाता ने किस उम्मीदवार को पसंद किया? मतदाताओं ने विकास के साथ उम्मीदवार को पसंद किया या केवल उम्मीदवार या दल को ?

जावरा विधानसभा में 8 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है। यहां कांग्रेस भाजपा के लिए निर्दलीय और करणी सेना के नेता जीवनसिंह जोरदार चुनौती के रुप में सामने आए है। यहां मतदान दिवस पर दिनभर इस बात की चर्चा चलती रही कि किसके पक्ष में अधिक मतदान हो रहा है और किसके पक्ष में मतदान कम। विधायक तथा भाजपा प्रत्याशी डा. राजेन्द्र पाण्डेय को दो मजबूत उम्मीदवारों को सामना करना पड़ रहा है और दोनों ही एक ही जाति से है, जिनके मतों की संख्या भी विधानसभा क्षेत्र में अधिक है। कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्रसिंह सोलंकी भी डा. पाण्डेय के लिए चुनौती है और जीवनसिंह भी। वोटों का विभाजन किसके पक्ष में होगा और कौन उम्मीदवार विजयी होगा यह फैसला भी 3 दिसंबर को मतगणना के दौरान ही होगा? अभी लोग अपने-अपने तरीके से चौराहों पर चर्चा के बीच गणित ज्ञान लगा रहे है और सटोरिये भी आंकलन लगा रहे है कि जावरा से कौन उम्मीदवार जितेगा?

रतलाम विधानसभा क्षेत्र जिले की मात्र ऐसी विधानसभा है जहां कहने को 8 उम्मीदवार मैदान में है,लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के चेतन्य काश्यप और कांग्रेस के पारस सकलेचा के बीच है। दोनों ही उम्मीदवारों को चुनाव लडऩे का अच्छा अनुभव है। श्री काश्यप तीसरी बार चुनाव लड़ रहे है। दो बार विधायक रहे और उन्हे पूरी उम्मीद है कि तीसरी बार भी वे विधायक बनेंगे। जबकि श्री सकलेचा अनेक बार चुनाव लड़ चुके है। एक बार विधायक बने, उन्हें उम्मीद है कि प्रदेश में सरकार के विरोध में चल रही लहर और विधायक की नाराजगी के वोट उनको मिलेगे। उन्हें भाजपा के नाराज कार्यकर्ताओं का लाभ मिलने की भी उम्मीद है, लेकिन भाजपा का कार्यकर्ता क्या अन्य दल को मत दे सकता है यह कई लोगों के गले नहीं उतरता, भलै ही भाजपा कार्यकर्ता मतदान में भाग नहीं ले लेकिन व अन्य दल को मत नहीं दे सकता, लेकिन सकलेचा को विश्वास है कि उनकी लोकप्रियता और उनका स्वभाव हर किसी को अपनी ओर खिंच लेता है, इसलिए उनका पक्ष इस बार मजबूत रहेगा।

लोगों का कहना है कि सरकार में गृहमंत्री रहे भाजपा उम्मीदवार को सकलेचा ने 32 हजार मतों से पराजित किया,इसलिए यह कहना दावे के साथ ठीक नहीं है कि सकलेचा एक कमजोर उम्मीदवार है। इन्ही दोनों उम्मीदवारों के बीच जो निर्णय होगा वह 3 दिसंबर को सामने आएगा और उसी दिन यह पता लगेगा कि मतदाताओं की पसंद कौन रही है?

हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी