रतलाम: हमारी चेतना में जब सत्य उद्घाटित होता है, सरस्वती की अनुभूति होती है-पंडित मुस्तफा आरिफ
रतलाम, 15 फ़रवरी (हि.स.)। बसन्त उत्सव पर डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन शोध संस्थान एवं मालवांचल लोक कला उत्सव के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध गीतकार कवि प्रदीप की जयंती तथा सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के पुण्य स्मृति दिवस पर मुख्य आतिथ्य प्रदान कर रहे पंडित मुस्तफा आरिफ ने अपने वक्तव्य में माँ सरस्वती के शारदा स्त्रोत का पाठ करते हुए कहा कि सरस्वती के बिना बुद्धि की कल्पना निरर्थक है। शब्द कालजयी होता है । हमारी चेतना में जब सत्य उदघाटित होता है तभी सरस्वती की अनुभूति हमें होती है ।
पंडित मुस्तफा ने निराला के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए अभी अभी तो आया है मेरे जीवन में बसन्त! रचना का पाठ किया। कवि प्रदीप के कालजयी गीतों में तेरे द्वार खड़ा भगवान भगत भर दे रे झोली! की सस्वर प्रस्तुति की। लताजी का पुण्य स्मरण करते हुए उनके संस्मरणों पर प्रकाश डाला।
विशेष आतिथ्य प्रदान कर रहे शासकीय कन्या महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ सौरभ गुर्जर ने साहित्य समाज एवम प्रकृति के त्रिवेणी संगम की बात कही । प्रकृति कैसे मनुष्य के मन के साथ समाज मे भी नव चेतना का संचार करती है और पर्व हमारी समूची सांस्कृतिक चेतना को सींचते है इसी संदर्भ में हम बसन्त उत्सव मनाते हैं। बसन्त अपने आप मे पूर्णता का परिचायक है । बसन्त ऋतु एक रूपक के रूप में आती है और अपनी उर्वरा शक्ति से जड़ चेतन सभी को उन्नत समृद्ध करती है।
डॉ. गुर्जर ने निराला का स्मरण करते हुए कहा कि राम की शक्ति पूजा के सशक्त और प्राणवान रचना के महान रचनाकार को हम याद कर सही मायने में माँ शारदा का पूजन कर रहे हैं। कवि प्रदीपजी के गीत एवम लता जी आवाज का सम्मिलन ही जीवंत बसन्त है।
अध्यक्षता कर रही डॉ मंगलेश्वरी जोशी ने जय जय माँ सरस्वती, ज्ञान प्रकाश करो हरो दुर्मति! सरस्वती वंदना के साथ निराला के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाप्राण निराला अपने काव्य कर्म से महाप्राण कहलाये । आपने सखि ! बसन्त आया! रचना का पाठ किया। कवि प्रदीप जी के कई कालजयी गीतों को याद करते हुए आयेगा आएगा आने वाला ! गीत की प्रस्तुति की।
उपस्थित सरस्वती के साधकों में लक्ष्मण पाठक ने माँ सरस्वती की वन्दना के साथ भगवा रंग में रंगा शहर रतलाम अयोध्या धाम हो गया! प्रिया उपाध्याय ने प्रदीपजी के गीतों में पिंजरे के पंछी रे! आओ बच्चों तुम्हे सुनाए झांकी ही हिंदुस्तान की! पिंजरे के पंछी रे! आदि गीतों की सस्वर प्रस्तुति की ।
अखिल स्नेही ने हर्ष के प्रकर्ष का प्रसाद बांटने, दौड़ पड़ी बावली उतावली सुगन्ध! एवम इस जीवन मे त्रास बहुत है फिर भी कुछ तो खास बहुत है रचना के पाठ के साथ प्रदीप जी के गीत तेरे द्वार खड़ा भगवान ! गीत की सस्वर प्रस्तुति की।
नूतन भट्ट एवम ऐश्वर्या भट्ट ने नित भजो देवी भवानी अम्बिका मां शारदा ! सरस्वती वंदना के साथ तौरा मन दर्पण कहलाये ! गीत प्रस्तुत किया । कुंदन सिंह चौहान ने ऐ मेरे प्यारे वतन की प्रस्तुति की । डॉ उषा व्यास ने कहा कि संत आते है तो संस्कृति का विकास होता है और बसन्त आता है तो सम्पूर्ण प्रकृति के साथ जड़ चेतन सभी का विकास होता है । अपने इस विचार के साथ तेरे द्वार खडा भगवान की प्रस्तुति की।
अनुराधा खरे ने पिंजरे के पंछी रे गीत की प्रस्तुति के साथ अपने पिताश्री की पुस्तक नारी तेरे रूप अनेक संस्थान को भेंट की। कृतिका पंवार ने बसन्त पर अपने विचार रखे। डॉ शोभना तिवारी ने मलय मरूत मतवारो यो बसन्त है! गीत प्रस्तुत किया। रश्मि उपाध्याय के सरस्वती वंदना जय जय हे भगवती सुर भारती एवम भारती जय विजय करे ! के पाठ के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
इस अवसर पर विश्व हिंदी साहित्य अकादमी मुंबई द्वारा हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित पंडित मुस्तफा आरिफ का संस्थान द्वारा सम्मान किया। इस अवसर पर डॉ सुनीता जैन, आभा गौड, दीपा नागर, सारिका नागर, डॉ दिनेश तिवारी, बालकृष्ण तिवारी, प्रतिष्ठा तिवारी, आकाश अग्रवाल, सुमन शर्मा, लीला उपाध्याय उपस्थित थे। संचालन डॉ शोभना तिवारी ने किया। आभार लक्ष्मण पाठक ने माना।
हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी/नेहा