रतलाम: राजीव गांधी सिविक सेंटर में गठजोड़ से हुई रजिस्ट्रियों का मामला लोकायुक्त तक पहुंचा
रतलाम, 27 मार्च (हि.स.)। नगर निगम से जुड़ा राजीव गांधी सिविक सेंटर का बहुचर्चित मामला दिनोदिन रंग पकड़ते जा रहा है। इस मामले में आयुक्त गहरवाल को निलंबित किया जा चुका है और भी कई मामले सामने आने की संभावना है, जिसमें कई प्रमुख लोगों के नाम भी प्रकाश में आएंगे।
बुधवार को लोकायुक्त की तीन सदस्यीय टीम द्वारा इस मामले में नगर निगम तथा जिला पंजियक कार्यालय से कई दस्तावेज जब्त किए जाने की जानकारी मिली है। पिछले दिनों ही योजना क्रमांक 71 से जुड़ी 22 से अधिक रजिस्ट्रीयां हुई थी, जिसे लेकर 7 मार्च को संपन्न नगर निगम के साधारण सम्मेलन में भी पार्षदों ने यह मुद्दा उठाया था और आवश्यक कार्रवाई की मांग की गई थी। इसी के बाद निगमायुक्त गहरवाल को शासन ने निलंबित कर दिया और इसके पूर्व उपायुक्त विकास सोलंकी के भी अधिकार समाप्त कर अन्य को विभाग सौंपे गए थे।
विस्तार से यह मामला प्रकाश में नहीं आया, लेकिन राजीव गांधी सिविक सेंटर की रजिस्ट्रीयों को लेकर निगम अधिकारी और भूमाफियों के गठजोड़ को लेकर काफी हंगामा हुआ। निगम के साधारण सम्मेलन में भी पार्षदों का आक्रोश देखने लायक था। कहा गया था कि राजीव गांधी सिविक सेंटर से जुडे प्लाटों की रजिस्ट्रीयां नियम विरूद्ध की गई है। उच्च स्तर पर हुई शिकायत के बाद यह मामला जांच का विषय बना हुआ है। दूसरी तरफ सिविक सेंटर के 22 प्लाटों की रजिस्ट्री शुन्य करवाने के निर्णय पर हाईकोर्ट में रोक लग गई है। साथ ही हाईकोर्ट ने नगर निगम को नोटिस जारी करने के भी निर्देश दिए है, इसके बाद ही अगली कार्रवाई की जानकारी मिलेगी कि इन रजिस्ट्रीयों का क्या होगा?
खण्डर हो रहा है राजीव गांधी सिविक सेंटर
यहां उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी सिविक सेंटर के प्लाट और बने भवन खण्डर का रूप ले रहे है। नगर निगम और नजूल के बीच उलझा यह मामला पता नहीं कब हल होगा। कई लोगों ने प्लाट और प्लेट के पैसे भी नगर निगम में जमा करवा रखे है,लेकिन उनकी रजिस्ट्रीयां नहीं हो पाई। स्थिति यह हो गई है कि इस निर्णय के अभाव में राजीव गांधी सिविक सेंटर का पूरा मामला अधर में हो गया है और बने हुए फ्लेट और भवन खण्डर में तब्दिल होते जा रहे है। लोगों का कहना है कि स्थानीय सरकार से लगाकर दिल्ली तक की सरकार एक ही दल की है। ऐसे में यह मामला क्यों नहीं हल हो रहा है यह चर्चा का विषय है ?
पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच जरूरी
राजीव गांधी सिविक सेंटर के सारे मामले की जांच उच्च स्तरीय की जाना चाहिए। लोगों की तो यह भी मांग है कि शासन राजीव गांधी सिविक सेंटर के सारे मामले की जांच किसी न्यायाधीश की नियुक्ति वाले जांच आयोग से करें ताकि सही तथ्य जनता के सामने आ सके।
चांदनी चौक सहित निगम की संपत्तियों का निराकरण क्यों नहीं हो रहा है ?
इस प्रकार की कई संपत्तियां शासन की उलझी हुई है जिसका निराकरण नहीं हो पा रहा है। इसमें चांदनी चौक का मार्केट भी शामिल है, लोगों ने इसे एशिया का सबसे बड़ा पैशाबघर बना दिया है, जबकि निगम परिषद के एक चेयरमेन और विधायक रहे इंका नेता शिवकुमार झालानी ने यहां पर आडिटोरियम बनाने की घोषणा की थी, यह घोषणा तो क्रियान्वित नहीं हो पाई, लेकिन यह खण्डर में तब्दिल होकर पैशाब घर के रुप में उपयोग में आ रहा है।
महू रोड़ का सुभाष काम्पलेक्स जो नगर निगम की ही संपत्ति है उसका भी अभी तक कोई सही निर्णय नहीं हो पाया है। उस पर भी कई लोगों ने अपनी राशि जमा की है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ और ना ही लोगों को कब्जा मिला है, जिन्होंने धन राशि जमा की है।
हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी