राजगढ़ में 100 दिवसीय ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान का शुभारंभ

 


राजगढ़,9 दिसम्बर(हि.स.)। मप्र के राजगढ़ जिले में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने के उद्देश्य से मंगलवार को 100 दिवसीय गहन जनजागरुकता अभियान का शुभारंभ किया गया। पीएमश्री शासकीय कन्या विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में छात्राओं को कानूनी प्रावधानों, दुष्परिणामों और बाल विवाह के सामाजिक प्रभावों के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया। जिसमें बड़ी संख्या में छात्राएं, शिक्षकगण और विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत जिला कार्यक्रम अधिकारी श्यामबाबू खरे के संबोधन से हुई। उन्होंने बालिकाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि हर लड़की को अपने भविष्य का निर्माण स्वयं करना चाहिए और आर्थिक रूप से सशक्त बनना चाहिए। उन्होंने समझाया कि 18 वर्ष से कम आयु की लड़की और 21 वर्ष से कम आयु के लड़के का विवाह कानूनन अपराध है। यह न केवल कानूनी रूप से गलत है बल्कि इसके गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणाम भी होते हैं।

उन्होंने कहा कि बाल विवाह बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। कम उम्र में मातृत्व के जोखिमों, शिक्षा छूटने की समस्याओं और आर्थिक निर्भरता के दुष्परिणामों पर उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक ने बताया कि यह 100 दिवसीय राष्ट्रीय अभियान एक निर्णायक पहल है, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में जागरूकता की मजबूत लहर तैयार करना है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग इस मिशन को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत राजगढ़ जिले में लगभग 2600 स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों में विशेष गतिविधियों और जागरूकता सत्रों का आयोजन किया जाएगा। अभियान के दौरान करीब 70 हजार लोगों को बाल विवाह मुक्त भारत के लिए संकल्पित कराया जाएगा। यह अभियान केवल बच्चों और किशोरों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अभिभावकों, समुदाय के नेताओं और स्थानीय संस्थाओं को भी इस मुहिम से जोड़ा जाएगा।

कार्यक्रम में मौजूद सभी सदस्यों ने अपने परिवार, समाज और कार्यक्षेत्र में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की शपथ ली। साथ ही उन्होंने यह संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से भी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का संकल्प लिया, “साथ चलें, साथ बढ़ें, साथ मिलकर 2030 तक बाल विवाह पूरी तरह समाप्त करें।”

इस अवसर पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 (पीसीएमए-2006) के प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी गई। अधिकारीयों ने बताया कि यह अधिनियम बाल विवाह करने, करवाने, प्रोत्साहित करने या आयोजन में मदद करने वाले सभी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान रखता है। कार्यक्रम में परियोजना अधिकारी विक्रम सिंह ठाकुर, बाल संरक्षण अधिकारी रिंकी धाकड़, नीति आयोग समन्वयक लक्ष्मण भागमल, विद्यालय प्राचार्य हेमलता हाड़ा, सहित शिक्षकगण और छात्राएं उपस्थित रहीं।

कलेक्टर डॉ. मिश्रा ने इस अभियान को जिले के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आगामी 100 दिनों के दौरान सभी विभाग समन्वित प्रयास करें, ताकि राजगढ़ जिला बाल विवाह मुक्त भारत मिशन में अग्रणी भूमिका निभा सके। उन्होंने सभी उपस्थितों को प्रेरित किया कि वे समाज के हर वर्ग तक इस जागरूकता को पहुंचाने में योगदान दें।

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हिन्दुस्थान समाचार / मनोज पाठक