विदिशा: पंचतत्व में विलीन हुए राजा भगवान सिंह राठौड़, सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी

 


विदिशा, 1 जून (हि.स.)। भेलसा रियासत के राजा भगवान सिंह राठौर का शुक्रवार को निधन हो गया था। शनिवार को उनका बेतवा नदी के चरण तीर्थ घाट के पास अंतिम संस्कार किया गया। राजा भगवान सिंह राठौर को उनके पोते युवराज अनिरुद्ध प्रताप सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी।

भेलसा रियायत के राजा भगवान सिंह राठौड़ का 105 साल की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया था। आज यानी शनिवार को सैकड़ों लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए पुरानी तहसील पहुंचे। किले अंदर स्थित हाथी वाली हवेली से उनकी अंतिम यात्रा गाजे-बाजे के साथ निकाली गई। कई स्थानों पर भिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी। उनके पोते युवराज अनिरुद्ध प्रताप सिंह ने मुखग्नि दी।

उनकी अंतिम यात्रा में धर्म गुरु, जनप्रतिनिधि, सहित सभी समाज के लोग शामिल थे। विधायक मुकेश टंडन ने राजा भगवान सिंह ठाकुर को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से श्रद्धांजलि दी। बताया गया कि महज 15 साल की उम्र में 1934 में तत्कालीन भेलसा रियासत के राजा के रूप में उनकी ताजपोशी हुई थी।

1930 में राजा साहब सिंधिया स्कूल ग्वालियर में पढ़ने गए थे। भेलसा के तत्कालीन राजा ने उनको गोद लिया था। उन्हें हार्स राइडिंग, हाकी, पोलो और शूटिंग का बेहद शौक था। हर साल दशहरे पर निकलने वाले राजपूत सरदारों के जुलूस का नेतृत्व वे ही करते थे और जुलूस में घोड़े पर सवार होकर दशहरा मैदान तक पहुंचते थे। स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते कुछ सालों से वे बग्गी में सवार होकर दशहरा मैदान जाते थे ।

अब उनके निधन के बाद दशहरे के जुलूस का नेतृत्व उनके प्रपौत्र युवराज अनिरुद्ध प्रताप सिंह करेंगे। इतिहासकार गोविंद देवलिया बताते हैं बड़ी हवेली के राजा भगवानसिंह चौधरी हरिसिंह के दत्तक पुत्र थे। हरिसिंह, जिनके नाम से मूडरा हरिसिंह नामक गांव प्रसिद्ध है। इसके साथ ही वे कुआखेड़ी, उसनापुर, ओलिंजा, मुगोद आदि अनेक गांवों के जागीरदार थे। चौधरी हरि सिंह नि:संतान थे।

उन्होंने परिवार के ही ओलिंजा में निवासरत बैजनाथ सिंह को गोद लिया, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी भी जल्दी ही मृत्यु हो गई। तब बैजनाथ सिंह के भाई भगवान सिंह को 3 वर्ष की में गोद लिया गया। 15 वर्ष की अल्पायु में आयु में उनका राज तिलक किया गया और वे 8 वर्ष की आयु से ही घोड़े पर सवार होकर शमी पूजन सहित दशहरे के जुलूस में शामिल होते रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश कुमार